– कामिनी यादव
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, ‘लोगों को जगाने के लिए महिलाओं का जागृत होना जरूरी है एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती हैं तो परिवार आगे बढ़ता है। गांव, शहर, देश आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। पर क्या महिलाएं सचमुच में मजबूत हैं। क्या उनका लम्बे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है। क्या वे सच में जागृत हुई हैं। अपने कार्य क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नति को दर्शाते हैं।
हम सोचते हैं कि महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। देश जागरूक हो रहा है। पर अगर आप ध्यान दे तो कुछ अद्भुत करने वाली महिलाएं तो हर काल में रही हैं। सीता से द्रौपदी, रजिया सुलतान से लेकर रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई से लेकर इंदिरा गांधी एवं किरण बेदी से लेकर सानिया मिर्जा। परन्तु इन महिलाओं की तुलना में उन महिलाओं की संख्या ज्यादा है जिनके जीवन में परिवर्तन शब्द सिर्फ एक शब्द है और कुछ नहीं।
हमें महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाना चाहिए और इसके लिए सबसे पहले जरूरी है उनकी सोच में परिवर्तन लाने की। जिस दिन उनकी सोच में परिवर्तन आ जाएगा उस दिन उनके जीवन में भी परिवर्तन आ जाएगा। लेकिन महिलाओं पर अपराध बढ़ रहे हैं शहर, गांव असुरक्षित होते जा रहे हैं। दुष्कर्म की घटनाओं के कारण बच्चियों, महिलाओं और लड़कियों का घर से बाहर निकलना बंद हो रहा है। सबसे पहले जरूरी है उन बंद दरवाजों को खोले जो पीढिय़ों से बेनाम इज्जत, झूठी प्रतिष्ठा की वजह से बंद है। उन दरवाजों को खोलकर प्रकाश को अंदर आने देना चाहिए। प्रकाश में अपना प्रतिबिम्ब देखाना चाहिए। उसे सुधारना चाहिए। उसे निहारना चाहिए। निखारना चाहिए। इसी दरवाजे में एक दरवाजा ओर है जिसे हमे खोलना है वो है आत्मनिर्भर और आत्मसम्मान का।
हमें बचपन में यह सिखाया जाता है कि खाना बनाना जरूरी है। पर जरूरी है कि हमें ये सिखाया जाएं की कमाना भी जरूरी है। आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है, परिवार के लिए नहीं अपने लिए अपने आत्मसम्मान के लिए। पैसों से खुशी नहीं आती पर पैसों से बहुत कुछ आता है जो खुशियां लाता है। ये एक सोच है जिसे आगे बढ़ाना चाहिए। जिससे हमारे जीवन में खुशियां आ सके और समय आने पर वह अपने लिए डटकर खड़ी हो सके। अपने परिवार व खुद को संभाल सके। आत्मनिर्भर, आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मबल सब से भर सके। जिससे वह कभी किसी से डरेगी नहीं । दबेगी नहीं।
ये दावे तो बहुत लोग करते हैं कि सोच में परिवर्तन लाना होगा पर फिर भी वास्तव में हर एक नजरिए में कहीं न कहीं कोई ना कोई कमी रह ही जाती है। अब जरूरत है उस कमी को खत्म करने की और महिलाओं को सच में आगे बढ़ाने की।