बरमूडा ट्राएंगल मिस्ट्री एक बार फिर चर्चा में है। इसके पीछे मुख्य वजह वैज्ञानिकों का यह दावा है कि इस तरह की घटनाएं हेक्सागोनल क्लाउड्स की वजह से होता है।
नई दिल्ली। दशकों से लोगों को चकित कर देने वाला बरमूडा ट्राएंगल मिस्ट्री को लेकर नये-नये सिद्धांत गढ़े जाते रहे हैं। एक बार फिर वैज्ञानिकों ने एक नया सिद्धांत गढऩे का दावा किया है। इस बार वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बरमूडा ट्राएंगल मिस्ट्री के पीछे हेक्सागोनल क्लाउड्स (छकोणीय बादलों) का हाथ हो सकता है। अभी तक 100 वर्षों में करीब 1,000 लोग इस मिस्ट्री के चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि वैज्ञानिकों ने इस मिस्ट्री को सुलझाने का दावा किया हो। इसी वर्ष मार्च में वैज्ञानिकों ने दावा किा था कि यह पानी के 150 फीट अंदर आधे माईल से ज्यादा चौड़ा क्रैटर्स की वजह से होता है। इसकी वजह से विस्फोट होता है, जो इस तरह कसी घटनाओं को अंजाम देता है। इससे पहले एलियन इंटरवेंशन व अन्य सिद्धांत गढ़े जा चुके हैं, पर वैज्ञानिक तरीके से इसे अभी तक साबित करना संभव नहीं हुआ है।
क्या है हेक्सागोनल क्लाउड्स
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चकित कर देने वाली घटना बरमूडा ट्राएंगल क्षेत्र में हेक्सागोनल क्लाउड्स (छकोणीय बादलों) की वजह से होता है। इसका निर्माण मौसमी स्थितियों में बदलाव की वजह से होता है। जिस समय हेक्सागोनल क्लाउड्स बनता है, उस समय यह जहाज या प्लेन को डूबो देने तक की क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में दावा किया है कि हेक्सागोनल क्लाउड्स 170 एमपीएच की स्पीड में एयर बॉम बनाता है जो विशाल जहाजों व एयरोप्लेन तक को नीचे गिराने में सक्षम हो सकता है।
लोकलाइज्ड करेंट से होता है इसका निर्माण
मौसम विज्ञानी रैंडी सरवेनी का कहना है कि इसका निर्माण बड़े पैमाने पर लोकलाइज्ड एयर करेंट की वजह से होता है। यह बादल के नीचे आते ही समुद में तरंगों को पैदा करता है। कभी कभी यह इतना शक्तिशाली विशाल आकार का होता है कि यह एक-दूसरे से टकरा जाता है।