बढ़ते प्रदूषण से उत्पन्न खतरों के मद्देनजर दुनिया के अलग-अलग शहरों के चार मेयरों ने 2025 तक डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली. दुनिया के चार बड़े शहरों में 2025 तक डीजल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। ग्रीन एक्टिविस्टों की तरफ से बढ़ते दबाव को देखते हुए चारों शहरों के मेयरों ने यह निर्णय लिया है। इन शहरों में आगामी एक दशक में कार, ट्रकों व अन्य डीजल वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा।
इन चार शहरों में लगा प्रतिबंध
इन शहरों में पेरिस, मेक्सिको, मैड्रिड और एथेंस शामिल हैं। इन शहरों के मेयरों ने इस बात की घोषणा की है कि वह भारी डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। ऐसा हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के मकसद से किया जा रहा है। मेयरों ने कहा कि वह प्रदूषण रहित अन्य वाहनों को बढ़ावा देने के लिए लोगों की आर्थिक मदद करेंगे। साथ ही पैदल चलने और साइकिलिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। इस बात का संकल्प मेक्सिको में आयोजित एक द्विपक्षीय बैठक में लिया गया ।
डीजल वाहन सवालों के घेरे में
पिछले कुछ वर्षों से बढ़ते प्रदूषण के कारण डीजल वाहनों का उपयोग सवालों के घेरे में आ गया है। बढ़ते डीजल वाहनों को दुनिया भर में हवा की क्वालिटी को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
हर साल 60 लाख मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हर साल करीब 60 लाख लोग प्रदूषण के कारण मरते हैं। इसका एक बड़ा कारण डीजल वाहन भी हैं। डीजल के धुंए से ही पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) निकलता है। दूसरा तत्व नाइट्रोजन ऑक्साइड जो डीजल इंजिन से ही निकलता है। पीएम ही एक ऐसा तत्व है जो फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी तो नाइट्रोजन ऑक्साइड सांस की तकलीफ के लिए जिम्मेदार है। नाइट्रोजन आक्साइड से उन लोगों को भी सांस की बीमारी हो सकती है जिनकी मेडिकल हिस्ट्री में भी सांस की कोई बीमारी नहीं है।
प्रदूषण को लेकर सरकार पर दबाव
डीजल से निकलने वाले जहरीले तत्वों को जब से सांस संबंधी कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना गया तब से लोग अदालतों के जरिए हवा की गुणवत्ता तय करने वाले नियमों को कड़ाई पालन करवाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। जिसके दबाव में सरकार जरूरी कदम उठाने के लिए मजबूर हो।