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आईएस जिहादियों ने शुरू की दहेज की अनोखी परंपरा

Published: Sep 30, 2016 12:57:00 pm

Submitted by:

Dhirendra

आईएस जिहादियों ने दहेज देने की अनोखी की परंपरा की शुरुआत की है। इसके तहत आईएस के जिहादी मौत या तलाक होने पर अपनी दुल्हन से कलाशनिकोव असॉल्ट राइफल या विस्फोटक बेल्ट देने का वादा करते हैं।

 IS marriage contracts reveal unusual dowery

IS marriage contracts reveal unusual dowery

नई दिल्ली. अभी तक आपने आईएस के जिहादियों के आतंक के बारे में कई तरह की बातें सुनी हैं, लेकिन अब एक नई बात यह छनकर आई है कि आईएस के जिहादी शादी करने के बाद अपनी दुल्हन से दहेज देने के बदले क्षतिपूर्ति के रूप में मौत या तलाक की स्थिति में कलाशनिकोव असॉल्ट राइफल या विस्फोटक बेल्ट देने का वादा करते हैं। इस बात का खुलासा लीबिया के तटवर्ती सिरते शहर में लंबे समय से संघर्षरत लिबियन सरकार समर्थित बलों ने एक भिलेखागार से बरामद आईएस के दस्तावेजों के आधार पर किया है।




कलाशनिकोव राइफल व विस्फोटक बेल्ट देने का वादा
लिबिया के सिरते शहर में आईएस के खिलाफ संघर्ष कर रहे सरकार समर्थित सेनाओं ने यह दावा एक अभिलेखागार से बरामद आईएस के दस्तावेज के आधार पर किया है। लिबियन समर्थित सेनाओं ने दस्तावेज से प्राप्त कुछ मामलातों का खुलासा करते हुए कहा है कि इस्लामिक नियमों और परंपराओं से इतर आईएस ने दहेज देने की एक अनोखी परंपरा की शुरुआत की है। इसके अन्तर्गत 31 नवंबर, 2015 को 39 वर्षीय ट्यूनिशियन नागरिक अबु मंसूर ने नाईजीरियन मिरियम के साथ सुडानीज गवाहों की उपस्थिति में निकाह संपन्न होने के बाद दहेज नहीं दिया, लेकिन उसने अपनी दुल्हन से वादा किया कि है खुद की मौत या शादी खत्म होने की स्थिति में वो क्षतिपूर्ति के रूप में विस्फोटक बेल्ट देगा। इसी तरह नाईजीरिया के फातिमा से उसके पति मालियान अबू ने कहा कि मरने या तलाक होने की स्थिति में वो उसे कलााश्निकोव असॉल्ट राइफल देगा।





फिर से कब्जे को लेकर जारी है संघर्ष
गौरतलब है कि आईएस जिहादियों ने लिबिया क तटवर्ती क्षेत्र सिरते पर जून 2015 में कब्जा जमा लिया था और उसके बाद से लोगों पर आतंक के शासन को लागू कर दिया था। वे लोग इस बात को सुनिश्चित करने के लिए गलियों में पेट्रोलिंग करते थे कि लोग समय से प्रार्थना करते हैं या नहीं और महिलाएं कहीं अकेले में तो घर से बाहर नहीं निकलती। जिहादियों के इस आतंक के खिलाफ ही 12 मई को लिबियन सरकार समर्थित सहयोगी ताकतों ने अभियान शुरू किया था। करीब एक महीने तक चले लंबे संघर्ष के बाद पूर्व तानाशाह मोहम्मद गद्दाफी के गृहनगर वाले इस शहर को अपने कब्जे में वापस ले लिया। लेकिन इस संघर्ष में 450 सरकार समर्थित लड़कों को जान से हाथ धोनी पड़ी। 
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