scriptभारत हमारा सबसे बड़ा अभिशाप है: पाकिस्तानी अखबार | India is a curse to Pakistan, writen Pak newspaper in editorial | Patrika News

भारत हमारा सबसे बड़ा अभिशाप है: पाकिस्तानी अखबार

Published: Oct 24, 2015 02:24:00 pm

अखबार ने लिखा भारत हमेशा ही पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बना रहेगा, हमेशा हमारे दरवाजे पर
रहेगा, हमें अब तक समाधान
ढूंढ लेना चाहिए था

Modi Sharif

Modi Sharif

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक दैनिक समाचार पत्र ने अपने संपादकीय में कहा कि भारत हमेशा ही उसके देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप बना रहेगा। अखबार ने इसके साथ ही जोड़ा है कि इसकी वजह से “नागरिक संस्थागत विकास और अन्य एजेंसियों को स्वयं को सुरक्षा दुविधा का शिकार नहीं बनने देना चाहिए।”

पाकिस्तान के एक मुख्य समाचार पत्र के शुक्रवार के संपादकीय “सिक्योरिटी स्टेट” में कहा गया है कि फ्रंटियर वर्क्स आर्गनाइजेशन (एफडब्ल्यूओ) ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ( सीपीईसी) परियोजना के कार्यान्वयन में बाधा डालने की भारत की कोशिशों के मुद्दे को उठाया है। इस्लामाबाद में राजनयिकों को संबोधित करते हुए एफडब्ल्यूओ के महानिदेशक मेजर- जनरल मुहम्मद अफजल ने कहा कि सीपीईसी परियोजना की भारतीय आक्रामकता से रक्षा के लिए सेना ने एक विशेष सुरक्षा प्रभाग बनाया है।

अफजल ने कहा कि परियोजना के क्रियान्वयन में लगे चीनी और स्थानीय इंजीनियरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अन्य प्रभाग बनाया जाएगा। साल 1966 में स्थापित एफ डब्ल्यूओ पाकिस्तानी सेना की एक प्रशासनिक शाखा है, जिसमें ड्यूटी अधिकारी, नागरिक वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल हैं। संपादकीय में कहा गया है, नागरिक नेतृत्व और सेना के मुद्दे पर चर्चा में हम साफ पाते हैं कि सेना उन तमाम क्षेत्रों की खामियों को प्रभावी तरीके से ठीक कर देती है जहां राजनैतिक नेतृत्व बार-बार असफल साबित हो जाता है।



संपादकीय में कहा गया है, हम सीपीईसी से संबंधित गतिविधियों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए सेना की सçRय भूमिका की सराहना करते हैं, लेकिन, यह काफी दुखदायी है कि राज्य की संस्थाएं अपने कार्य को करने के लिए सशक्त नहीं हैं। संपादकीय में यह प्रश्न भी किया गया है कि अगर सेना सभी निर्माण, संरक्षण और दूरगामी क्षेत्रों के विकास के लिए जिम्मेदार है, तो फिर उन प्रांतीय विधानसभाओं और सैकड़ों समितियों का क्या मतलब, जिनके पास इन इलाकों में कार्य करने की न तो क्षमता है और न ही अधिकार?

संपादकीय में आगे लिखा है, भारत हमेशा हमारे लिए सबसे बड़ा अभिशाप बना रहेगा, हमेशा हमारे दरवाजे पर रहेगा, लेकिन नागरिक संस्थागत विकास और अन्य एजेंसियों को स्वयं को सुरक्षा दुविधा का शिकार नहीं बनने देना चाहिए। अखबार ने लिखा है, 68 साल हो गए। हमें अब तक समाधान ढूंढ लेना चाहिए था, लेकिन हम आज भी परिस्थितियों के बंधक बने हुए हैं।
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