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चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर राफेल तैनात कर सकता है भारत 

मध्य-पूर्व एशिया और चीन समर्थित देशों की वजह से एशियाई क्षेत्रों में अस्थिरता को देखते हुए भारत कर सकता है चीन-पाक बॉर्डर पर राफेल की तैनाती।

Oct 01, 2016 / 11:20 am

Dhirendra

india may deploy rafael on china-pak border

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बीजिंग. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब बीजिंग को भी इस बात का अंदेशा सताने लगा है कि भारत चीन-पाक बॉर्डर पर परमाणु क्षमता से लैस राफेल विमान की तैनाती कर सकता है। ऐसा कर वह अपनी प्रतिरोधी क्षमता में इजाफा करने सुरक्षा चिंताओं से निश्चिंत होना चाहता है।

शेंजेन टेलीविजन के हवाले से सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने जारी खबर में बताया है कि भारत फ्रांस में बने लड़ाकू विमानों को पाकिस्तान और चीन से सटे विवादित इलाकों में तैनात करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक राफेल लड़ाकू विमान उड़ान भरने की स्थिति में परमाणु हथियारों से लैस होता है और इसकी मारक क्षमता अचूक होती है। इसका मतलब है कि भारत की परमाण्विक निवारक क्षमता (डिटरेंस कैपेबिलिटी) में बहुत सुधार आएगा और वो एक साथ चीन-पाक का सामना करने में सक्षम भी होगा। 


राफेल की तकनीक खरीदना चाहता है भारत 
शंघाई इंस्टीट्यूट्स फार इंटरनेशनल स्टडीज में दक्षिण एशिया अध्ययन के निदेशक झाओ गेनचेंग का कहना है कि भारत राफेल की तकनीक भी खरीदना चाहता है, लेकिन फ्रांस ने देने से फिलहाल इनकार कर दिया है। इससे साप है कि फ्रांस की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि वह भारत की सैन्य औद्योगिक व्यवस्था को बढ़ावा देने में उसकी मदद करे।

रक्षा विस्तार पर 100 अरब खर्च करने की योजना 
अखबार ने सिप्री की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि भारत नई रक्षा प्रणालियों पर 100 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च कर अपनी सैन्य क्षमताएं तेजी से बढ़ा रहा है, जबकि रूस, अमेरिका और इस्राइल जैसे अत्याधुनिक सैन्य उद्योग वाले कई अन्य देश भी भारत के बाजार से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। भारत फ्रांस से 36 राफेल विमान की खरीदारी इसलिए की है कि वो सस्ता है और परमाणु क्षमता से संपन्न है। 


हथियारों का सबसे बड़ा आयातक 
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की एक हालिया रिपोर्ट में भी बताया गया है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है। एशियाई क्षेत्र में हथियारों का ज्यादा आयात मुख्य रूप से इसलिए है, क्योंकि पश्चिम मध्य पूर्व एशिया और चीन के पड़ोसियों की सुरक्षा रणनीतियों की वजह से इस क्षेत्र के देशों में सुरक्षा चिंताएं ज्यादा है।

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