विश्व स्तरीय सभागार न होने और 2019 में आम चुनाव होने के कारण भारत जी20 समिट की मेजबानी करने से पीछे हट गया है। नरेंद्र मोदी प्रशासन चुनावों के कारण 2018 के जी20 समिट की मेजबानी करना चाहता था ।
नई दिल्ली। विश्व स्तरीय सभागार न होने और 2019 में आम चुनाव होने के कारण भारत जी20 समिट की मेजबानी करने से पीछे हट गया है। वास्तव में
नरेंद्र मोदी प्रशासन चुनावों के कारण 2018 के जी20 समिट की मेजबानी करना चाहता था क्योंकि इसके साथ ही सदस्य देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों, व्यापार और श्रम मंत्रियों की बैठकों भी साथ में होती लेकिन 2018 में अर्जेंटीना इसकी मेजबानी छोड़ने को तैयार नहीं है।
प्रगति मैदान का पुनर्उद्धार करना चाहता था आईटीपीओ
आईटीपीओ इसके लिए प्रगति मैदान का पुनर्उद्धार करना चाहता था साथ ही दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर डवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएमआईसीडीसी) की द्वारका में ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर बनाने की योजना थी लेकिन केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि वह जी20 की मेजबानी के लिए कुछ और साल इंतजार करेगी।
जापान करेगा 2019 में जी20 की मेजबानी
इसका परिणाम यह हुआ कि 2019 में जी20 की मेजबानी अब जापान करेगा और भारत को इसकी मेजबानी करने के लिए एशिया के नंबर आने का इंतजार करना पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार, नंबर आने पर भी भारत को मेजबानी के लिए इंडोनेशिया से प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
रोजगार और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाने में सहायता मिलेगी
मोदी सरकार जी20 जैसी विश्वस्तरीय संस्था में भारत को स्थापित करने को उत्सुक है खासकर तब जब भारतीय अर्थव्यवस्था चीन से बहुत आकर्षक दिखेगी। जी20 समिट देश में कराने का एक और उद्देश्य यह था कि इससे देश को जो वैश्विक कवरेज मिलेगा उससे देश में रोजगार सृजित करने और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाने में सहायता मिलती।
2021 या 2022 की मेजबानी पाने का प्रयास करेगा भारत
एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक देश के पास एक भी वैश्विक कन्वेशन सेंटर नहीं है। एक जो द्वारका में बनेगा, उसमें अभी समय लगेगा और 2019 में आम चुनाव भी होंगे। इसलिए भारत अब 2021 या 2022 के जी20 की मेजबानी हासिल करने का प्रयास करेगा।