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जानिए क्यों परमाणु बम से ज्यादा खतरनाक है हाइड्रोजन बम

आइए जानते हैं परमाणु बम और हाइड्रोजन बम में क्या अंतर होता है और हाइड्रोजन बम क्यों ज्यादा खतरनाक है

atomic bomb vs hydrogen bomb

atomic bomb vs hydrogen bomb

नई दिल्ली। उत्तर कोरिया भूकंप के झटकों से हिल गया है। ये दावा किया जा रहा है कि भूकंप के ये झटके उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु परीक्षण के बाद आए हैं। उत्तर कोरिया ने भी पुष्टि की है कि उन्होंने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है। हाइड्रोजन बम की क्षमता परमाणु बम से भी कई गुना ज्यादा होती है। इससे पहले जापान और दक्षिण कोरिया की ओर से दावा किया गया था कि उत्तर कोरिया ने परमाणु क्षमता को बढ़ाने की कवायद के चलते परमाणु परीक्षण किया है। इस बीच उत्तर कोरिया में 5.1 तीव्रता का भूकंप आया। उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु परीक्षण की पुष्टि के बाद ये इस देश द्वारा चौथा परमाणु परीक्षण है। इससे पहले साल 2006, 2009 और 2013 में भी उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया था। आइए जानते हैं परमाणु बम और हाइड्रोजन बम में क्या अंतर होता है और हाइड्रोजन बम क्यों ज्यादा खतरनाक है।

परमाणु बम
परमाणु बम नाभिकीय संलयन या नाभिकीय विखंडन या इन दोनों प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियों के सम्मिलन से बनाया जा सकता है। दोनों ही प्रकार के रिएक्शन के दौरान भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। एक हजार किलोग्राम से थोड़े बड़े परमाणु बम इतनी ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है, जितनी कई अरब किलोग्राम के परम्परागत विस्फोटकों से ही उत्पन्न हो सकती है। परमाणु बमों को महाविनाशकारी हथियार कहा जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध में सबसे शक्तिशाली विस्फोटक ‘ब्लॉकबस्टर’ का इस्तेमाल किया गया था। इसके निर्माण में 11 टन ट्राई नाइट्रीटोलीन प्रयुक्त हुआ था। इस विस्फोटक से 2000 गुना अधिक शक्तिशाली प्रथम परमाणु बम था, जिसका विस्फोट टीएनटी के 22,000 टन के विस्फोट के बराबर था।

क्या होता है हाइड्रोजन बम?


हाइड्रोजन बम में चेन रिएक्शन फ्यूजन होता है। यह न्यूक्लियर बम के मुकाबले कई गुना ज्यादा विनाशकारी होता है। यहां कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तर कोरिया यांगयोन न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर में हाइड्रोजन बम तैयार कर रहा होगा। हालांकि, यह रिएक्टर साल 2007 में बंद कर दिया गया था। हाइड्रोजन बम में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यू टीरियम और ट्राइटिरियम की आवश्यकता पड़ती है। हाइड्रोजन बम में परमाणुओं के संलयन करने से विस्फोट होता है। इस संलयन के लिए बड़े ऊंचे ताप लगभग 500,00,000 डिग्री सेल्सियस की आवश्यकता पड़ती है। परमाणु बम द्वारा ही इतना ऊंचा ताप प्राप्त किया जा सकता है।

उत्तर कोरिया में है यांगयोन न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर


यांगयोन न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर में साल 1961 में काम शुरू हुआ और 1964 में यह बनकर तैयार हो गया। इस सेंटर को उत्तर कोरिया के न्यूक्लियर रिसर्च और डेवलपमेंट में सबसे खास माना जाता है। यह सेंटर जनरल डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के चार अहम न्यूक्लियर इंस्टीट्यूट्स में से एक है। बाकी तीन संगठनों में आइसोटोप एप्लिकेशन कमेटी, द एटॉमिक एनर्जी कमेटी और प्योंगयांग एटॉमिक एनर्जी शामिल हैं। नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से 90 किलोमीटर दूर स्थिति यांगयोन रिएक्टर को 2007 में बंद कर दिया गया था। ‘डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरियाÓ ने इसे 2013 तक शुरू करने की बात कही थी। हालांकि, दक्षिण कोरिया की गुप्तचर एजेंसी का कहना है कि उत्तर कोरिया के पास हाइड्रोजन बम की क्षमता होने के कोई सबूत नहीं है।

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