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नेपाल भूकंप : मृतकों की संख्या 7,100 हुई, राहत कार्य तेज करने की अपील 

Published: May 03, 2015 11:23:00 pm

त्रासदी में मरने वालों की संख्या रविवार को 7,100 पहुंच गई और 28 लाख लोगों को विस्थापन झेलना पड़ा है।

Earthquake

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काठमांडू। नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप और उससे फैली तबाही के करीब एक सप्ताह बाद रविवार को फिर से आए भूकंप के तीन झटकों ने एक बार फिर नेपालवासियों को दहशत में डाल दिया। त्रासदी में मरने वालों की संख्या रविवार को 7,100 पहुंच गई और 28 लाख लोगों को विस्थापन झेलना पड़ा है। इस बीच नेपाल सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने की अपील की, साथ ही राहत एवं बचाव कर्मियों से अपने लिए व्यवस्थाएं खुद करने के लिए भी कहा। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी को मौजूदा परिस्थिति के बारे में बताया कि नेपाल पहुंच रही राहत सामग्री पर्याप्त नहीं है तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को त्रासदी की मार झेल रहे नेपाल की मदद में तेजी लानी चाहिए।

राहत एवं बचाव कार्य में जी-जान से जुटी नेपाली सेना ने भी कहा कि मिल रही अंतर्राष्ट्रीय मदद त्रासदी से निपटने में पर्याप्त नहीं है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अनुमान के मुताबिक भूकंप में 80 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 35 लाख लोगों तक तत्काल खाद्य सामग्री पहुंचाए जाने की जरूरत है। नेपाल ने जरूरत के सामानों की एक सूची भी जारी की है। यह सूची सभी राजनयिक मिशनों, संयुक्त राष्ट्र और विशेषीकृत एजेंसियों और काठमांडू में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भेज दी गई है। अधिकारियों के मुताबिक, टेंट, चटाइयों, कंबलों, गर्भनिरोधक दवाओं, अस्थायी शौचालयों, कचरापेटियों, अन्य घरेलू सामानों के अलावा नेपाल को बिस्तर, तकिए, चादरों, आग बुझाने वाले उपकरणों, लैंप (खासकर सौर ऊर्जा वाले), इमरजेंसी लाइट और खाना पकाने वाले स्टोव की तत्काल जरूरत है।

इसके अलावा जल शोधकों, सफाई एवं प्राथमिक स्वास्थ्य किट, भोजन और 150 अन्य औषधियों तथा शल्य चिकित्सा के उपकरणों की भी बेहद जरूरत है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक करीब 10 लाख लोग काठमांडू छोड़ चुके हैं। काठमांडू के कुछ हिस्सों में जनजीवन सामान्य होता हुआ प्रतीत हो रहा है, हालांकि शहर बल्कि नेपाल का अधिकांश हिस्सा अभी भी त्रासदी से उबर नहीं सका है। इस बीच रविवार को भूकंप के तीन और झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के अनुसार, रविवार तड़के 3.29 बजे भूकंप का पहला झटका महसूस किया गया, जिसका केंद्र सिंधुपालचौक जिले में पाया गया। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.5 आंकी गई। इसके बाद दो और झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर चार आंकी गई। इन झटकों का केंद्र धडिंग और गोरखा जिलों में पाया गया।

राहत एवं बचावकर्मियों के सामने सबसे बड़ी समस्या काठमांडू से बाहर सुदूरवर्ती इलाकों में भूकंप प्रभावित दसियों हजार लोगों तक भोजन एवं राहत सामग्री पहुंचाने की है। भूकंप में बच गए तथा खुले में गुजारा कर रहे लोगों को भोजन और दैनिक उपयोग के सामान प्राप्त करने में बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में व्यापारी भी शहर छोड़कर जा चुके हैं। रविवार को इस बीच सार्वजनिक परिवहन शुरू हुआ और सड़क पर वाहन दिखाई पड़े। काठमांडू के न्यू रोड, बानेश्वर, कोटेश्वर और महराजगंज इलाकों में जनजीवन सामान्य होता हुआ दिखाई दिया, हालांकि भक्तपुर में अभी भी स्थिति खराब है।

नेपाल सरकार ने रविवार को कहा कि बाहर से आ रहे राहत एवं बचाव कर्मियों को यहां आवास, खाद्य एवं परिवहन के लिए अपना बंदोबस्त स्वयं करना होगा। साथ ही, त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअaे को किसी भी तरह की क्षति से बचाने के लिए नेपाल में मानवीय सहायता लेकर पहुंच रहे भारी विमानों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस फैसले का मतलब है कि 196 टन से अधिक वजन के विमानों को यहां उतरने की मंजूरी नहीं होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि कुछ पश्चिमी देशों ने राहत सामग्री लिए हुए बड़े जेट विमानों को उतरने की मंजूरी मांगी है। नेपाल में 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद यहां 150 चार्टर्ड विमानों सहित 300 से अधिक बचाव उड़ाने उतर चुकी हैं। अस्पताल अभी भी घायलों से अटे पड़े हैं तथा बिस्तरों की कमी के कारण चिकित्सक खुले में उन्हें उपचार दे रहे हैं।

एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, “”हम घायलों को निशुल्क उपचार प्रदान कर रहे हैं।”” काठमांडू महानगर पालिका ने रविवार को कचरा निष्पादन कार्य भी शुरू कर दिया। इसके अलावा महानगर पालिका ने 100,200 लीटर पेयजल भी वितरित किया तथा सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में दस्ताने और मास्क भी वितरित किए। हालांकि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राहत एजेंसियों के बीच समन्वय न होने के कारण राहत सामग्री के वितरण में अव्यवस्था देखी गई। इस बीच नेपाल, चीन और भारत की सुरक्षा एजेंसियां रविवार को भी मलबे में दबे जीवित लोगों को बचाने और मृत शरीरों को निकालने के कार्य में जुटी रहीं। अधिकारियों को अभी भी मलबे में दबे सैकड़ों शवों को निकालने की चिंता बनी हुई है।
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