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नौसेना में शामिल हुई अरिहंत, अब जल-थल-वायु से परमाणु हमला करने में सक्षम हुआ भारत

आईएनएस अरिहंत को भारतीय नौसेना में शामिल कर जल-थल-वायु में परमाणु हमला करने वाला भारत विश्व में छठा देश बन गया। 

Oct 18, 2016 / 01:53 pm

Dhirendra

now India has nuclear triad submariens

now India has nuclear triad submariens

नई दिल्‍ली. देश में निर्मित पहली स्‍वदेशी परमाणु पनडुब्‍बी आईएनएस अरिहंत को भारतीय नौसेना ने चुपचाप अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। अब भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है, जिनके पास हवा, जमीन और पानी से न्यूक्लियर मिसाइलों को दागने की क्षमता है।

भारत बना छठा देश

मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार फरवरी 2016 में इसे ऑपरेशन के लिए तैयार घोषित किया गया था, जिसके बाद अगस्‍त 2016 में पीएम मोदी ने बेहद गुप्‍त कार्यक्रम में इस पनडुब्‍बी को नौसेना को सौंप दिया। इसके साथ ही भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल होने वाला छठा देश बन गया है जो इस क्षमता से संपन्न है और जिसके पास जल, थल और वायु में परमाणु ताकत का त्रय पूरा हो चुका है। भारत से पहले अमेरिका, यूके, फ्रांस, रूस और चीन के पास ये क्षमता है।

तीन और अरिहंत का कर रहा है निर्माण
एक रिपोर्ट के अनुसार अब भारत दुनिया ऐसा देश बन चुका है जिसने खुद न्यूक्लियर आम्र्ड सबमरीन का निर्माण किया है। भारत ऐसी तीन सबमरीन का निर्माण कर रहा है, जिनमें से अरिहंत पहली है। अभी तक इसे दुनिया से छिपा कर रखा गया था।

6,000 टन भारी है अरिहंत

भारत की यह स्‍वदेशी पनडुब्‍बी रूस के मदद से बनी है। 6 हजार टन की आईएनएस अरिहंत 83 मेगावाट के प्रेशराइज्‍ड लाइट वाटर न्‍यूक्‍िलयर रिएक्‍टर से ताकत प्राप्‍त करती है। इस प्रोजेक्‍ट को बनाने का काम 1980 के एडवांस टेक्‍नोलॉजी वेसल के तहत शुरू किया गया था और यह 2009 में तत्‍कालीन पीएम मनमोहन सिंह द्वारा लॉं‍च की गई थी। उसके बाद से ही इसके ट्रायल चल रहे थे।

के-15 और क-4 मिसाइल से होगा लैस
आईएनएस अरिहंत बेहद एडवांस पनडुब्‍बी है और यह 700 किमी तक की रेंज में हमला कर सकती है। इसे के-15 मिसाइल से लैस किया जाएगा। इसे बैलिस्टिम मिसाइल की सुविधा से भी लैस किया जा सकता है। इसी खासियत की वजह से इसे शिप सबमर्सिबल बैलिस्टिक न्यूक्लियर (एसएसबीएन) श्रेणी में रखा गया है। इस सबमरीन की क्षमता यह भी है कि पानी के अंदर से किसी भी एयरक्राफ्ट को निशाना बना सकता है।

नो फस्र्ट यूज की नीति

भारत इस सबमैरिन को विकसित करने के बाद भी नो फस्र्ट यूज की नीति पर आगे भी अमल करता रहेगा। ऐसा इसलिए कि भारत न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन के प्रोटोकॉल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता चुका है। इसका मतलब भारत पर अगर परमाणु हमला होता है तो भारत इसका जवाब दे सकता है।

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