सर्जिकल स्ट्राइक का साइड इफेक्ट… नवाज सरकार के दिन पूरे?
PoK में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना व नवाज शरीफ सरकार के बीच मतभेद चरम पर है
इस्लामाबाद। पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना व नवाज शरीफ सरकार के बीच मतभेद चरम पर है। पाक सेना को शक है कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी पीएम नवाज शरीफ के निर्देश और सेना की नानुकुर की रिपोर्ट सरकार ने ही जानबूझ कर लीक की है।
सूत्रों के मुताबिक, पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ ने हाल ही सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ इस संबंध में बैठक भी की है। 14 अक्टूबर को हुए कॉर्प्स कमांडर बैठक में नवाज और उनकी टीम के प्रति सेना का रवैया साफ तौर पर दिख रहा था। बैठक में इस खबर को मीडिया में लीक करने के लिए पीएम शरीफ पर शक जाहिर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सैन्य अधिकारियों ने रावलपिंडी में हुई उच्च स्तरीय बैठक में आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर देश के सैन्य और असैन्य नेतृत्व के बीच मतभेद की खबर मीडिया में आने पर गंभीर चिंता जताई है। गौरतलब है कि पाक सेना व सरकार के बीच बैठक हुई थी, जिसमें नवाज शरीफ ने पाक सेना को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था।
इस बैठक के बाद सेना द्वारा जारी किए गए संक्षिप्त बयान में साफ संकेत था कि ‘द डॉन’ अखबार को लीक हुई जानकारी के लिए सेना प्रधानमंत्री कार्यालय को जिम्मेदार मानती है। उन्होंने कहा कि डॉन में छपी खबर राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर खतरनाक है। इसके साथ ही, पत्रकार सिरिल अलमिदा द्वारा दी गई इस खबर को ‘गलत और मनगढ़ंत’ भी बताया गया।
पाक सेना ने यह स्पष्ट नहीं किया कि एक गलत और मनगढ़ंत खबर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किस तरह खतरनाक साबित हो सकती है। 3 अक्टूबर को हुई अहम बैठक से जुड़ी जानकारी अलमिदा को कैसे मिली, इसका पता लगाने के लिए सेना ने शरीफ सरकार को 5 दिनों का समय दिया है। अलमिदा की खबर में बैठक की मिनटों का ब्योरा भी था। बाद में डॉन के संपादक ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि तथ्यों की कई बार जांच और पुष्टि की गई।
गौरतलब है कि सेना द्वारा दी गई 5 दिनों की डेडलाइन में नवाज शरीफ के दफ्तर ने पहले तो अलमिदा के देश छोड़कर जाने पर प्रतिबंध लगाया और फिर यह प्रतिबंध वापस ले लिया। फिर PMO ने आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार को अपना पक्ष बताने के लिए कहा। वहीं दूसरी ओर विश्व समुदाय अलमिदा और प्रेस की आजादी का समर्थन कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि पाक सेना प्रमुख राहिल शरीफ अगर कोई भी बड़ा सैन्य मिशन शुरु करते है तो साफ है वो अभी रिटायर होने के मूड में नहीं है। हालांकि राहिल शरीफ की छवि चमकाने के लिए बढ़-चढ़कर कर किए जा रहे अभियानों को देखकर तो नहीं लगता कि वह जल्द अपनी गद्दी छोड़ने वाले हैं। उधर नवाज शरीफ भी अगले सैन्य प्रमुख के चुनाव को लेकर काफी संशय में हैं।
आपको बता दें कि 2014 में तख्तापलट की एक कमजोर कोशिश हुई थी। राहिल शरीफ ने विदेश मंत्रालय और सुरक्षा मामलों की बागडोर अपने हाथों में ले ली थी, लेकिन बाकी सारा प्रभार नवाज के हाथों में रहने दिया। अब प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के बीच की दूरियां इतनी चौड़ी हो गई हैं कि उन्हें पाटना मुमकिन नहीं लगता। राहिल 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा या नहीं, इसे लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं।
नवाज के खिलाफ 30 को बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन
पाकिस्तान में विपक्षी दल तहरीक ए इंसाफ पार्टी के नेता इमरान खान ने पीएम नवाज शरीफ को अयोग्य घोषित करने और उन्हें पद छोडऩे के लिए मजबूर करने के इरादे से इस्लामाबाद घेरो अभियान का आगाज किया है। पार्टी समर्थक 30 अक्टूबर को राजधानी इस्लामाबाद की सड़कें रोकेंगी और सरकारी कार्यालयों का घेराव करेगी।
इमरान ने कहा है कि प्रधानमंत्री शरीफ भ्रष्टाचार के साबित हो चुके आरोपों पर अपनी सफाई दें या फिर पद छोड़ें। 15 अगस्त को इमरान की पार्टी ने नवाज शरीफ की संसद सदस्यता रद किए जाने के संबंध में भी याचिका दी थी। यह याचिका अब पाकिस्तान के चुनाव आयोग के पास विचार के लिए लंबित है।
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