रूस ने भारत को सिर्फ अपना व्यापारिक साझेदार ही नहीं, बल्कि ऐसा मित्र बताया जो उसके सबसे खराब समय में भी उसके साथ खड़ा रहा।
नई दिल्ली। रूस दूसरी परमाणु पनडुब्बी लीज पर देने के साथ ही इस महीने 12 अरब डॉलर की व्यापारिक समझौता भारत से कर चुका है। रूस की मंशा है कि वह भारत से कई और प्रोजेक्ट को हासिल करे। यही कारण है कि रूस ने भारत को सिर्फ अपना व्यापारिक साझेदार ही नहीं, बल्कि ऐसा मित्र बताया जो उसके सबसे खराब समय में भी उसके साथ खड़ा रहा।
रूस की निगाह भारत के साथ अरबों डॉलर के P75-1 प्रोजेक्ट पर है, जिसके तहत ‘एयर इंडेपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम’ वाली 6 सबमरीन का निर्माण करना है। इसके अलावा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और अगली पीढ़ी के विमानवाही पोत परियोजना को संयुक्त रूप से विकसित करने की परियोजना पर भी है।
रूस के एक प्रमुख रक्षा अधिकारी ने कहा कि भारत और रूस के बीच परियोजनाओं को लेकर कोई सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि रूस जो भारत को मुहैया कर सकता है वह अमरीका और युरोप कभी नहीं कर सकता।
रूस की रक्षा कंपनी रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन के सीईओ सर्गेई चेम्जोव ने कहा, ‘हम न सिर्फ भारत को भारी हथियार मुहैया करने को तैयार हैं, बल्कि हम उन्हें अपनी अत्याधुनिक उच्च प्रौद्योगिकी भी देना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘रूस भारत का अभिन्न मित्र है, वह केवल एक व्यापारिक साझेदार नहीं है। भारत के खराब समय में भी रूस हमेशा उसके साथ खड़ा रहा है। अगले वर्ष हम अपनी मित्रता के 70 वर्ष पूरे करेंगे। यह एक लंबा समय है। 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद भी रूस ने भारत का साथ दिया।’
रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के करीबी चेम्जोव ने कहा, ‘रूस न केवल भारत को दिन प्रतिदिन सैन्य आपूर्ति मुहैया करता है बल्कि न्यूक्लियर सबमरीन जैसे काफी संवेदनशील और महत्वपूर्ण उपकरण भी किराये पर भारत को प्रयोग के लिए देता है।’
रूस ने न केवल भारत को एक परमाणु चालित परमाणु चालित सबमरीन लीज पर दी, उसने भारत की परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पहली स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत बनाने में सक्रिय तौर पर मदद की जिसे भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है।
चेम्जोव ने ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र का उदाहरण देते हुए कहा कि रूस ने न केवल उच्च स्तर के उपकरण की आपूर्ति की है, बल्कि रणनीतिक चीजें विकसित करने में भारत के साथ सहयोग भी किया है। चेम्जोव ने कहा कि 1990 के दशक के आखिर में रूस ने सुखोई 30 एमकेआई के लिए प्रोद्योगिकी का हस्तांतरण किया था।