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बसंतपंचमी पर ऎसे करें मां सरस्वती की उपासना, होंगे सभी काम सिद्ध

Published: Mar 03, 2015 09:26:00 am

बसंतोत्सव (बसंत पंचमी) पर श्री अर्थात विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती का जन्मदिन मनाया जाता है

बसंतोत्सव का आरंभ वसंत पंचमी से होता है। इसी दिन श्री अर्थात विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती का जन्मदिन मनाया जाता है। वसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यो के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। मुख्यतया विद्यारंभ, नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह प्रवेश के लिए वसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयस्कर माना गया है। वसंत पंचमी को अत्यंत शुभ मुहूर्त मानने के पीछे अनेक कारण हैं। यह पर्व अधिकतर माघ मास में ही पड़ता है। माघ मास का भी धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।

कैसे करें पूजा

इस दिन प्रात: काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर तांबे के पात्र से पवित्र जल चारों तरफ डालें इसके बाद अपने घर के मंदिर या सरस्वती मंदिर में पीले वस्त्र धारण कर सरसों के पीले फूलों से सरस्वती को माला पहनाकर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख में बैठकर व्याधि नाश के लिए इन श्लोकों का 101 बार पाठ करें –

सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो: नम:।।
ॐ सरस्वत्यै नम:।


पीले वस्त्र पहनकर वसंत पंचमी से एक माह तक इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि प्रखर व विलक्षण होती है। मानसिक तनाव दूर होता है और आत्मिक शांति मिलती है

ॐ घंटाशूल हलानि शंखमुसले चक्र धनु: सायकं। हस्ताब्र्जैदधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुसुतुल्यप्रभाम्।।
गौरी देह समुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा। पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्।।
ॐ वीणाधारिण्यै नम:।

ऎसे करें कुमारी पूजन
वसंत पंचमी के दो से 10 वर्ष तक की कन्याओं को पीले चावल व पीले पकवानों से भोजन करवाकर उन्हें पीले वस्त्रों का दान देना चाहिए। इस दिन कुमारियों के पांव धोकर वायव्य कोण से ईशान कोण तक (पश्चिम तथा उत्तर दिशा के मध्यम कोण) स्वच्छ भूमि पर आसन बिछाकर उन्हें बिठा दें और गंध, पुष्प, माला आदि से उनका पूजन करें और भोजन कराएं। इस दिन भोजन में श्रीखंड, लडडू, खीर, पीली दाल व शहद का भी यथासम्भव समावेश करें।

शत्रुओं के नाश, दीर्घायु व संकट निवारण के लिए दो वर्ष की कन्या, अकाल मृत्यु निवारण व संतान प्राप्ति के लिए तीन वर्ष की कन्या को, धनागम व कुशाग्र बुद्धि के लिए चार व पांच वर्ष की कन्या को, यश प्राप्ति, विद्यार्थी व राज्य फल प्राप्ति के लिए छह वर्ष की कन्या को और सौभाग्यप्राप्ति, सर्वशांति के लिए सात से दस वर्ष तक की कन्या को भोजन करवाना चाहिए।

इस दिन दान की विशेष महिमा
वसंत पंचमी का दिन दान का सर्वोत्तम दिन माना गया है इस दिन पीले वस्त्रों का दान, सोने के गहने, स्वर्ण निर्मित सरस्वती की प्रतिमा का दान बहुत फलदाई माना गया है। ब्राह्मणों, गरीबों व असहायों को इस दिन दान करने से धन धान्य व विद्या प्राप्ति की सुलभता बताई गई है। इस दिन चने, जौ, गेहंू के आटे से निर्मित पुए बनाकर डाकौत या अन्य गरीबों या पशु पक्षियों को भी खिलाने से भी पुण्य प्राप्ति होती है। वसंत ऋतुु में पीले पुष्पों से शिवलिंग की पूजा करने से तेजस्विता व दीर्घजीवन की प्राप्ति होती है। वसंत पंचमी के दिन शुभ कार्य, विवाह, भवन निर्माण, कूप निर्माण, स्कूल-कॉलेज का निर्माण कार्य व फैक्ट्री आदि की स्थापना सर्वोत्तम माने गए हैं।

हवन का उत्तम दिवस
वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का हवन करने का विधान भी है। इस दिन देवी पुराण व वैदिक मंत्रों द्वारा सविधि प्रवीण पुरोहित द्वारा अथवा दक्ष व्यक्ति द्वारा शुभ लग्न में हवन किया जा सकता है। इस दिन विद्या से जुडे आयोजन उद्घाटन, फैक्ट्री निर्माण भवन निर्माण, विवाह संस्कार, मुंडन व नामकरण संस्कार तथा प्रकाशन से जुड़े कार्य भी इस दिन माने गए हैं।

सरस्वती पूजन से कुशाग्र बुद्धि
ऋतुुराज वसंत का आगमन मां शारदा को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम काल है। वसंत ऋतु में स्कूली व कॉलेज के छात्र-छात्राओं को प्रात: काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्वाध्याय क रना चाहिए। अपने मंदिर में या पूजा स्थान पर पीले वस्त्र पर मां सरस्वती की प्रतिमा को विराजित करके पीले वस्त्र धारण कर व पीले पुष्प चढ़ाकर “ॐ सरस्वत्यै नम:” का उच्चारण करते हुए इस श्लोक का कम से कम 21 बार प्रतिदिन या रविवार एवं सोमवार को जाप करना चाहिए –

सरस्वती महाभागे
विद्ये कमललोचने
विद्यारूपे विषालाक्षि
विद्यां देहि नमोस्तुते।

प्रतिदिन वसन्त ऋतु में हल्दी का तिलक लगाएं। अपने स्टडी रूम में सरसों के फूल या कोई भी पीले पुष्प पानी में डालकर, कुछ पीले चावल बनाकर प्रति गुरूवार व रविवार को अपने शयन कक्ष पर कार लगाने से मार्कण्डेय पुराण के अनुसार आराधक की बुद्धि कुशाग्र होती है।
-डॉ. शंकरलाल शास्त्री
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