scriptश्रीकाल भैरव अष्टमी आज, पूजा से पूर्ण होगी सभी कामनाएं | Sri kaal Bhairav Ashtami: How to worship Bhairav to get boon | Patrika News

श्रीकाल भैरव अष्टमी आज, पूजा से पूर्ण होगी सभी कामनाएं

Published: Dec 03, 2015 10:09:00 am

काल भैरव अष्टमी तंत्र साधना के लिए अति उत्तम मानी जाती है। कहते हैं कि
भैरव साधना भगवान शिव की ही पूजा है जो भक्त के सभी संकटों को दूर करती है

kaal bhairav ashtami

kaal bhairav ashtami

काल भैरव अष्टमी तंत्र साधना के लिए अति उत्तम मानी जाती है। कहते हैं कि भगवान का ही एक रूप है भैरव साधना जो भक्त के सभी संकटों को दूर करने वाली होती है। यह अत्यंत कठिन साधनाओं में से एक होती है जिसमें मन की सात्विकता और एकाग्रता का पूरा ख्याल रखना होता है। पौराणिक मान्यताओं के आधार स्वरूप मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भगवान शिव, भैरव रूप में प्रकट हुए थे, अत: इसी उपलक्ष्य में इस तिथि को व्रत व पूजा का विशेष विधान है।

भैरवाष्टमी पर पूजा से मिलती हैं तंत्र सिद्धियां

भैरवाष्टमी या कालाष्टमी के दिन पूजा उपासना द्वारा सभी शत्रुओं और पापी शक्तियों का नाश होता है और सभी प्रकार के पाप, ताप एवं कष्ट दूर हो जाते हैं। भैरवाष्टमी के दिन व्रत एवं षोड्षोपचार पूजन करना अत्यंत शुभ एवं फलदायक माना जाता है। इस दिन श्री कालभैरव का दर्शन-पूजन शुभ फल देने वाला होता है। भैरव की पूजा उपासना मनोवांछित फल देने वाली होती है। इस दिन साधक भैरव की पूजा अर्चना करके तंत्र-मंत्र की विद्याओं को पाने में समर्थ होता है। भैरव ही सृष्टि के रचयिता, पालक और संहारक हैं। इनका आश्रय प्राप्त करके भक्त निर्भय हो जाता है तथा सभी कष्टों से मुक्त रहता है।

भैरवाष्टमी पूजन

भगवान शिव के इस रूप की उपासना षोड्षोपचार पूजन सहित करनी चाहिए। रात्रि समय जागरण करना चाहिए व इनके मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। भजन कीर्तन करते हुए भैरव कथा व आरती की जाती है। इनकी प्रसन्नता हेतु इस दिन काले कुत्ते को भोजन कराना शुभ माना जाता है। मान्यता अनुसार इस दिन भैरवजी की पूजा व व्रत करने से समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं, भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहता है। भैरव उपासना क्रूर ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करती है। भैरव देव के राजस, तामस एवं सात्विक तीनों प्रकार के साधना तंत्र प्राप्त होते हैं। भैरव साधना स्तंभन, वशीकरण, उच्चाटन और सम्मोहन जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए की जाती है। इनकी साधना करने से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।

भैरव साधना महत्व

इन्हीं से भय का नाश होता है और इन्हीं में त्रिशक्ति समाहित है। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। यह दिशाओं के रक्षक और काशी के संरक्षक कहे जाते हैं। कहते हैं कि भगवान शिव से ही भैरव की उत्पत्ति हुई। यह कई रूपों में विराजमान हैं, बटुक भैरव और काल भैरव यही हैं। इन्हें रुद्र, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहारक भी कहा जाता है। भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है और नाथ सम्प्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व रहा है। भैरव आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय प्राप्त होती है, व्यक्ति में साहस का संचार होता है। इनकी आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है, रविवार और मंगलवार के दिन इनकी पूजा बहुत फलदायी है।

भैरव साधना में ध्यान रखें इन बातों का

भैरव साधना और आराधना से पूर्व अनैतिक कृत्य आदि से दूर रहना चाहिए। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना की जाती है तभी फलदायक होती है। भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष अनेक विधियों का उल्लेख किया, जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है। भैरवजी शिव और दुर्गा के भक्त हैं व इनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक माना गया है न कि डर उत्पन्न करने वाला। इनका कार्य है सुरक्षा करना और कमजोरों को साहस देना व समाज को सही मार्ग देना। काशी में स्थित भैरव मंदिर सर्वश्रेष्ठ स्थान पाता है।


loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो