बजरंग बली के पास अभूतपूर्व शक्तियां और वरदान हैं, जिनके चलते उनका यश आज भी कायम है। उनके शारीरिक और अलौकिक बल की गाथाओं से धर्मशास्त्र भरे पड़े हैं। पर क्या आपको पता है कि उन्हें उनके पराक्रम के बारे में याद दिलाना पड़ता है। जी हां, इसिलिए उनकी स्तुति की जाती है और उन्हें अपने बल का आभास करवाना पड़ता है।
ये है भूल जाने की वजह
पुराणों के अनुसार हनुमान जी को कई देवी-देवताओं से विभिन्न प्रकार के वरदान और अस्त्र-शस्त्र प्राप्त थे। इन वरदानों और शस्त्रों के कारण हनुमान जी उद्धत भाव से घूमने लगे। यहां तक कि तपस्यारत मुनियों को भी शरारत कर तंग करने लगे। उनके पिता पवनदेव और माता केसरी के कहने के बावजूद भी हनुमान जी नहीं रूके। इसी दौरान एक शरारत के बाद अंगिरा और भृगुवंश के मुनियों ने कुपित होकर श्राप दिया कि वे
अपने बल को भूल जाएं और उनको बल का आभास तब ही हो जब कोई उन्हें याद दिलाए।
ऎसी थी हनुमान जी की ताकत
हनुमान जी को बचपन में ही कई तरह के वरदान और अस्त्र-शस्त्र प्राप्त हो गए थे। हालांकि बाद में भी यह सिलसिला जारी रहा। ये हैं इनमें से कुछ वरदान:
1. देवताओं के राजा इन्द्र ने हनुमान जी को वरदान दिया कि वह मेरे वज्र के प्रहार से कभी नहीं मारा जा सकेगा।
2. सूर्य देवता ने हनुमान जी को अपना सौंवा भाग प्रदान कर दिया।
3. यम ने वरदान दिया कि बजरंग बली यम के प्रकोप के शिकार नहीं होंगे।
4. वरूण देवता ने हनुमान जी को दस लाख वर्षो तक जीवित रहने का वरदान दिया।
5. कुबेर ने अपने अस्त्र-शस्त्र से बजरंग बली को निर्भय कर दिया।
6. भगवान महादेव ने किसी भी अस्त्र से न मरने का वरदान दिया।
7. भगवान ब्रह्मा ने बजरंग बली को दीर्घायु होने का और ब्रह्मास्त्र का कोई असर नहीं होने का वर दिया। उन्होंने हनुमानजी को इच्छा के अनुसार रूप धरने का वर भी दिया।
8. भगवान विश्वकर्मा ने भी हनुमान जी को उनके अस्त्र-शस्त्रों से निर्भय कर दिया।
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