ये है स्थिति
किसानो का कहना है कि इन दिनो टमाटर की एक कैरिट (३० किलो) की कीमत २० से ३० रुपए मिल रही है। जो बीते साल २०० रुपए थी। जबकि एक कैरिट टमाटर तोडऩे के लिए ३० रुपए मजदूरी लगती है। ऐसे में किसान के हाथ कुछ नहीं लग रहा है। पकी फसल को तोडऩे के लिए ही जेब से मजदूरी देना पड़ रही है।
जिले में ये है स्थिति
उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में २७ हजार हेक्टेयर में उद्यानिकी खेती की जाती है। जिसमें से नौ हजार हेक्टेयर में सब्जी की खेती होती है। इस साल ४९०० हेक्टेयर में टमाटर की खेती की गई है। बाड़ी तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक टमाटर की खेती की जाती है।
लगभग एक लाख की लागत
किसानो और उद्यानिकी विभाग के अनुसार एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती करने में ८० हजार से एक लाख रुपए की लागत आती है। यदि फसल अच्छी हो और समय पर अच्छे दाम मिल जाएं तो एक हेक्टेयर की उपज सवा लाख तक बिकती है। लेकिन इस साल हालात उलट हैं।
10 दिन बाद बढ़ेंगे रेट
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक एनएस तोमर का कहना है कि दूसरे प्रांतों से कई व्यापारी हर साल रायसेन जिले से टमाटर खरीदकर ले जाते थे। लेकिन उन प्रदेशों में भी इस बार टमाटर की अधिक पैदावार हुई है, इसलिए बाहर के व्यापारी नहीं आ रहे हैं। अगले १०-१५ दिन बाद बाहर के व्यापारी आने लगेंगे, तब दाम बढ़ जाएंगे।
सालों से की जा रही अनदेखी
जिले में टमाटर की अच्छी पैदावार सालों से हो रही है। बाड़ी, बरेली तहसील में सबसे अधिक टमाटर पैदा होता है। लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने किसानो की मांग के बाद भी जिले काटमाटर बाजार में खपाने या कोई प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की पहल नहीं की। हालांकि बीते दिनो एक सोसायटी बनाकर प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की योजना बनी है, लेकिन इसमें भी एक साल का समय लगेगा।
इनका कहना है
क्षेत्र में टमाटर की बंपर पैदावार हुई है। हमने १२ एकड़ में टमाटर लगाया था। लेकिन अब उसे तोडक़र पशुओं को खिला रहे हैं। कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। फसल की लात तो क्या तोडक़र फेकने का खर्च भी नहीं निकल रहा।
कृष्ण कुमार जाट, उद्यानिकी कृषक
बाहर के व्यापारियों के नहीं आने से टमाटर के दाम गिरे हैं। जल्द ही स्थिति सुधर जाएगी। १०-१५ दिन में दाम बढ़ जाएंगे। अगले साल से टमाटर प्रोसेसिंग यूनिट शुरू हो जाएगा। फिर जिले के किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा।
नरेंद्र सिंह तोमर, उपसंचालक उद्यानिकी