सहारनपुर।यह बात सभी को पता है कि न्यायपालिका में सबसे उच्च स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय है। जिसे हम सुप्रीम कोर्ट भी कहते हैं। लेकिन यहां न्याय पाना इतना आसान नहीं। लेकिन बात जब वेस्ट यूपी की आती है तो यहां के लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बेहतर कोर्इ न्यायालय लगता ही नहीं है। इसका कारण है वेस्ट यूपी में कोर्इ हार्इकोर्ट बेंच न होना। करीब 7 करोड़ की आबादी वाले इस क्षेत्र के लोगों का साफ कहना है कि उनके सभी केस इलाहाबाद हार्इकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिए जाएं तो इससे बेहतर कोर्इ बात नहीं हो सकती है। आखिर यहां के लोग एेसा क्यों सोचते हैं? क्या कारण हैं कि ये इलाहाबाद हार्इकोर्ट जाने से कतराते हैं? जब बात हुर्इ तो कर्इ कारण सामने आए।
आने जाने का खर्च इलाहाबाद हार्इकोर्टः वेस्ट यूपी में कर्इ जिले एेसे हैं जहां से इलाहाबाद के लिए कोर्इ सीधी ट्रेन नहीं है। एेसे में उन्हें आसपास के स्टेशनों पर जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है। अगर आप स्लीपर क्लास में अपना टिकट कराते हैं तो वो भी 500 रुपए से कम नहीं होगा। आने जाने का खर्चा ही 1000 रुपए से 1500 में रुपए हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्टः वहीं वेस्ट यूपी के लोगों को सुप्रीम कोर्ट जाना काफी आसान है। अगर बुलंदशहर या सहारनपुर से किसी को दिल्ली आना हो ताे ट्रेन से महज 200 रुपए से 300 रुपए में आना जाना हो सकता है। ट्रेन में ये किराया अौर भी सस्ता है। वेस्ट यूपी से कर्इ लोग दिल्ली में नौकरी के रोज ट्रेनों से ही आते जाते हैं।
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समय में काफी अंतर इलाहाबाद हार्इकोर्टः इलाहाबाद जाने ट्रेन से ही करीब 10 से 12 घंटे लग जाते हैं। कर्इ बार तो ट्रेन लेट हो जाने से लोगों को 15 घंटे से ज्यादा का सफर तय करना पड़ता है। जिसमें लोगों को काफी परेशानी होती है।
वकीलों की फीस में अंतर
सुप्रीम कोर्टः वेस्ट यूपी का एेसा कोर्इ शहर नहीं जिसे दिल्ली में आने 3-4 घंटे से ज्यादा का सफर लगता हो। फिर चाहे मुजफ्फरनगर हो या बागपत, मुरादाबाद, बुलंदशहर, मेरठ तो आैर भी ज्यादा नजदीक है। लोग अपनी व्हीकल से भी आराम से सफर करते हैं। अगर रास्ते में वाया रोड ट्रैफिक जाम भी मिल जाता है तो ज्यादा लेट नहीं होंगे।
रहने आैर खाने-पीने का खर्च इलाहाबाद हार्इकोर्टः वेस्ट यूपी के लोगों को इलाहाबाद हार्इकोर्ट जाने के बाद इस बात अंदाजा नहीं कितने दिन रुकना पड़े। अगर इत्तेफाक से अापको दूसरे दिन भी रुकना पड़े तो वन स्टार होटल में स्टे का किराया ही 1000 रुपए से कम नहीं होगा। उसके बाद खाने पीने का खर्च एक समय का 200 रुपए से कम नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्टः वेस्ट यूपी के लोगों को सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद रहने आैर खाने पीने काेर्इ खर्च नहीं है। क्योंकि कोर्ट की कार्रवार्इ खत्म होने के बाद वादी आराम से अपने घर जा सकता है आैर अगर अगले दिन भी आना है तो आराम से आ भी सकता है। एडवोकेट आैर गौतमबुद्घनगर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष परमेंद्र सिंह भाटी कहते हैं कि वेस्ट यूपी के कर्इ लाेग सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो अपने घर से खाने पीने का सामान लेकर जाते हैं।
वकीलों की फीस में अंतर इलाहाबाद हार्इकोर्टः वेस्ट यूपी से जाने वाले लोगों से इलाहाबाद हार्इकोर्ट के वकील मुंहमांगी फीस वसूलते हैं। मजबूरी में लोगों को फीस देनी पड़ती है। मेरठ के एडवाेकेट रामकुमार शर्मा ने बताया कि जिस केस की फीस वहां के लोगों से वकील 10 से 15 हजार वसूल करते हैं। उसी केस की फीस वेस्ट यूपी के लोगो से 50 हजार रुपए वसूल की जाती है।
सुप्रीम कोर्टः वहीं सुप्रीम कोर्ट में वेस्ट यूपी के कर्इ वकील केसों की पैरवी करते हैं। जिनसे आराम से फीस में कटौती करार्इ जा सकती है। साथ लोगों को कर्इ आॅप्शन भी होते हैं। जान पहचान ज्यादा होती है। एेसे में जो वकील किसी केस के 50,000 रुपए मांगता है तो आॅप्शन वादी द्वारा दूसरे वकील के पास चले जाने के डर से कम में भी राजी हो जाता है।
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