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भारत में 80 फीसदी मामलों में महिलाएं ही करती हैं अंगदान

भारत में जीवित अंग दान (ऑर्गन डोनर) करने वालों में 80 फीसदी महिलाएं होती हैं। जबकि अंग प्राप्तकर्ताओं में उनकी संख्या सिर्फ 18.9 प्रतिशत है। नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (एनओटीटीओ) की हालिया रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।

Nov 28, 2023 / 10:37 pm

Swatantra Jain

In India, women donate organs in 80 percent cases.

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जयपुर. भारत में जीवित अंग दान (ऑर्गन डोनर) करने वालों में 80 फीसदी महिलाएं होती हैं। जबकि अंग प्राप्तकर्ताओं में उनकी संख्या सिर्फ 18.9 प्रतिशत है। नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (एनओटीटीओ) की हालिया रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट मुख्य रूप से एक्सपिरिमेंटल एंड क्लीनिकल ट्रांसप्लांटेशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन पर आधारित है। इस अध्ययन में कहा गया है कि 1995 और 2021 के बीच महिलाओं की तुलना में 5 गुना से अधिक पुरुष अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया से गुजरे। यानी, इस अवधि के दौरान किए गए 36,640 अंग दान में से केवल 6,945 (18.9%) महिलाएं ही अंग दान की प्राप्तकर्ता थीं। इस ***** असंतुलन के पीछे कई डॉक्टर्स महिला और पुरुषों में लिवर और किडनी की बीमारियों के पैटर्न को भी जिम्मेदार मानते हैं। सामान्यताय पुरुष शराब का सेवन ज्यादा करते हैं और इसलिए उनके लिवर और किडनी खराब होने की संभानाएं ज्यादा होती है।

पूरी दुनिया में महिलाएं ही ज्यादा डोनर

– 60 फीसदी जीवित किडनी दान के मामलों में डोनर थी महिला, दक्षिण कोरिया की एशियन सोसाइटी ऑफ ट्रांसप्लांटेशन ने 2021 में 13 एशियाई-प्रशांत देशों में किया अध्ययन।
– 61.1 फीसदी मामलों में यूरोप के 60 देशों में महिलाएं किडनी डोनर थीं, काउंसिल ऑफ यूरोप कमेटी ऑन ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन का 2022 का अध्ययन
– 65 फीसदी अंग दान के मामलों में यूरोप में महिला थी डोनर, काउंसिल ऑफ यूरोप कमेटी ऑन ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन का 2019 का अध्ययन
पुरुष महिलाओं से अधिक अंग प्राप्तकर्ता
अंग प्रत्यारोपण पुरुष प्राप्त कर्ता
किडनी 65 फीसदी
लिवर 65
दिल 71
फेंफड़े 60
पैन्क्रियास 58
स्रोत – काउंसिल ऑफ यूरोप कमेटी ऑन ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन, 2019

सोशल कंडीशनिंग जिम्मेदार

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिला और पुरुष दोनों की सामाजिक कंडीशनिंग अलग प्रकार से होती है। अंग दान करने के इच्छुक एक महिला की तुलना में एक पुरुष के लिए अंग दान के लिए मना करना आसान होता है। महिलाओं पर देखभाल करने और पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी होती है, भले ही इस काम से उनकी अपनी भलाई के लिए जोखिम पैदा होता हो। लेकिन पुरुष पर इस तरह का कोई सामाजिक दबाव नहीं होता। बल्कि, पुरुष पर मुख्य रूप से पूरे परिवार के लिए पैसे कमाने की जिम्मेदारी होती है, इसलिए महिला पर दबाव होता है कि वह खुद को जोखिम में डालते हुए भी पुरुष की जान बचाने के लिए अंग दान करे।
अमीर-गरीब, उम्र का भी असुंतलन
जानकारों का कहना है कि दानकर्ता मामलों में असंतुलन सिर्फ जेंडर का नहीं है। इसमें अमीर-गरीब, उम्र का भी स्पष्ट असंतुलन देखा जा सकता है। अगर डोनर एक ही परिवार से नहीं हो तो अंग दाता लगभग हमेशा प्राप्तकर्ता से गरीब होता है। साथ ही, दाता अक्सर छोटा होता है और प्राप्तकर्ता अधिक उम्र का होता है। अंगदाताओं में विषमता के ये कारक अधिकांश विकासशील देशों के लिए तो सच हैं ही, जहां पुरुष अपेक्षाकृत महिलाओं के अधिक शक्तिशाली होते हैं। यह पैटर्न अमरीका जैसे अधिकांश ‘विकसित’ देशों में भी देखा जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ गिटिंजन के एक अध्ययन के अनुसार, अमरीका में 1988 में जहां 55 फीसदी मामलों में महिला डोनर थी, वहीं 1998 में ये संख्या बढ़कर 58 फीसदी हो गई थी।
भारत बना अंग प्रत्यारोपण का दूसरा बड़ा केंद्र
डब्ल्यूएचओ के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत जीवित अंग प्रत्यारोपण के मामले में अमरीका के बाद पूरी दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। दोनों ही देशों में डोनर के मामले में यह जेंडर असंतुलन मौजूद है। अमरीका में 62 फीसदी और भारत में 74 फीसदी मामलों में किडनी डोनर महिला होती हैं। लिवर डोनर मामलों में यह संख्या अमरीका में 53 फीसदी और भारत में 60.5 फीसदी है।
अंगदान के लिए धन जुटाने वाले क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म मिलाप के अनुसार, उन्होंने 495 लिवर प्रत्यारोपण के लिए धन जुटाया है। इसमें 326 यानी 66 फीसदी मामलों में ये पुरुष के लिए किया गया और 169 यानी 34 फीसदी मामलों में महिला के लिए।

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