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गोरखपुर फूलपुर उपचुनाव के ताजा रिजल्ट से दलितों की राजधानी में उत्साह

locationआगराPublished: Mar 14, 2018 12:57:42 pm

दलितों की राजधानी में बदल जाएगा मायावती का रसूख, अखिलेश को भी मिलेगी संजीवनी,सपा-बसपा गठबंधन का भविष्य तय करेगा गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा उपचुनाव परिणाम

samajwadi party
आगरा। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की प्रतिष्ठा गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में दांव पर लगी है। रुझानों में समाजवादी पार्टी दोनों सीटों पर बढ़त बना रही है। वहीं गोरखपुर में चुनावी वोटिंग के दौरान विपक्ष का हंगामा बढ़ गया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इन दोनों सीटों पर गठबंधन का भविष्य तय होगा। यदि इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी और बसपा गठबंधन जीत हासिल करता है तो उसका सीधा असर बृज में देखने को मिलेगा। खासतौर से दलितों की राजधानी के नाम से मशहूर आगरा में मायावती का रुतबा और अधिक बढ़ जाएगा। सभी राजनीतिक पंड़ितों की निगाहें इन दोनों स्थानों के चुनावी नतीजों पर टिकी हुई हैं।
दलितों को मिल जाएगा मुस्लिम का साथ तो भाजपा को होगी मुश्किलें
आगरा दलितों की राजधानी है। यहां की जनसंख्या का 35 प्रतिशत हिस्सा दलित वोटर है। वहीं मुस्लिम वोटर भी अच्छी संख्या में है। यदि गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा तो आगरा में जो समीकरण पिछले विधानसभा में बदले हैं एक बार फिर से बदल जाएंगे। 2012 और उससे पहले 2007 में विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को आगरा से छह विधायक मिले थे। इसके बाद इस चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। कमोवेश यही हालत समाजवादी पार्टी के रहे थे। यहां एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। लेकिन, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह के पार्टी छोड़ने के कारण वो सीट भी भाजपा के खाते में चली गई।
ब्राह्मण वोट में लगी है सेंध
हाईकास्ट से वोट की राजनीति की सोच रखने वाली पार्टी पिछड़ों और दलितों के वोट के बिना नहीं चल सकती है। ये कहना है राजनीति के विशेषज्ञ अनुपम प्रताप सिंह का। उनका मानना है कि अगड़ों की राजनीति में ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लग चुकी है। ऐसे में दलितों और अल्पसंख्यकों को साथ लेने वाली पार्टी को ही विजयश्री मिल सकेगी।

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