दलितों को मिल जाएगा मुस्लिम का साथ तो भाजपा को होगी मुश्किलें
आगरा दलितों की राजधानी है। यहां की जनसंख्या का 35 प्रतिशत हिस्सा दलित वोटर है। वहीं मुस्लिम वोटर भी अच्छी संख्या में है। यदि गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा तो आगरा में जो समीकरण पिछले विधानसभा में बदले हैं एक बार फिर से बदल जाएंगे। 2012 और उससे पहले 2007 में विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को आगरा से छह विधायक मिले थे। इसके बाद इस चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। कमोवेश यही हालत समाजवादी पार्टी के रहे थे। यहां एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। लेकिन, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह के पार्टी छोड़ने के कारण वो सीट भी भाजपा के खाते में चली गई।
आगरा दलितों की राजधानी है। यहां की जनसंख्या का 35 प्रतिशत हिस्सा दलित वोटर है। वहीं मुस्लिम वोटर भी अच्छी संख्या में है। यदि गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा तो आगरा में जो समीकरण पिछले विधानसभा में बदले हैं एक बार फिर से बदल जाएंगे। 2012 और उससे पहले 2007 में विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को आगरा से छह विधायक मिले थे। इसके बाद इस चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। कमोवेश यही हालत समाजवादी पार्टी के रहे थे। यहां एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी। लेकिन, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह के पार्टी छोड़ने के कारण वो सीट भी भाजपा के खाते में चली गई।
ब्राह्मण वोट में लगी है सेंध
हाईकास्ट से वोट की राजनीति की सोच रखने वाली पार्टी पिछड़ों और दलितों के वोट के बिना नहीं चल सकती है। ये कहना है राजनीति के विशेषज्ञ अनुपम प्रताप सिंह का। उनका मानना है कि अगड़ों की राजनीति में ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लग चुकी है। ऐसे में दलितों और अल्पसंख्यकों को साथ लेने वाली पार्टी को ही विजयश्री मिल सकेगी।
हाईकास्ट से वोट की राजनीति की सोच रखने वाली पार्टी पिछड़ों और दलितों के वोट के बिना नहीं चल सकती है। ये कहना है राजनीति के विशेषज्ञ अनुपम प्रताप सिंह का। उनका मानना है कि अगड़ों की राजनीति में ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लग चुकी है। ऐसे में दलितों और अल्पसंख्यकों को साथ लेने वाली पार्टी को ही विजयश्री मिल सकेगी।