scriptजानिये वो जगह जहां लव कुश ने बजरंगबली को बनाया था बंधक, पकड़ा था अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा | Know about Sita Samahit Sthal Where Love Kush Hostage Hanuman | Patrika News

जानिये वो जगह जहां लव कुश ने बजरंगबली को बनाया था बंधक, पकड़ा था अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा

locationभदोहीPublished: Jul 10, 2019 02:39:45 pm

काशी और प्रयाग के मध्य स्थित है वह स्थान, मान्यता है कि महर्षि वाल्मिकी का आश्रम भी यहीं था।
सीता समाहित स्थल भी वहीं है, इसी लिय इस स्थल को सीता समाहित स्थल या सीतामढ़ी कहते हैं।

Sita Samahit Sthal

सीता समाहित स्थल

भदोही . उत्तर प्रदेश के जिलो में अनेक प्राचीन मंदिर और पौराणिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। अयोध्या और काशी, मथुरा के अलावा भी कई ऐसे पौराणिक धार्मिक स्थल हैं जिनका अपना महत्व है। भदोही जिले के सीतामढ़ी में पड़ने वाला सीता समाहित स्थल ऐसा ही एक प्राचीन और पौराणिक स्थल है। यही वो जगह है जहां मान्यता के अनुसार आदिकवि महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था और लव-कुश का जन्म भी यहीं हुआ था। इस पूण्यधाम में दर्शन-पूजन करने वालों का साल भर तांता लगा रहता है, लेकिन लव-कुश जन्मोत्सव के मौके पर यहां बड़ा आयोजन होता है, जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु सीतामढ़ी पहुंचते हैं। विशाल मेले का आयोजन भी होता है।
 

ऐसी मान्यता है कि काशी और प्रयाग के मध्य सीतामढ़ी में ही महर्षि वाल्मिकी की तपोस्थली और माता सीता का समाहित स्थल है। इसी जगह पर महर्षि वाल्मिकी आश्रम बनाकर रहते थे। भगवान राम ने जब माता सीता का परित्याग कर दिया तो माता सीता भी यहीं आकर महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में रहा करती थीं। अषाढ़ की अष्टमी के दिन लव और कुश का जन्म भी यहीं हुआ था, ऐसी मान्यता है। इसके अलावा जब भगवान राम ने अश्वमेघ यज्ञ किया था तो यज्ञ के घोड़े को लव-कश ने यहीं पकड़कर बांध लिया था। बजरंग बली को लव और कुश ने यहीं बंधक बनाया था। इसी जगह माता सीता धरती में समा गयी थीं।
सीतामढ़ी में सीता समाहित स्थल पर माता सीता का भव्य मंदिर बना है। गंगा किनारे जहां लव-कुश की प्रतिमा स्थापित है, कहा जाता है कि वहीं महर्षि वाल्मिकी का आश्रम है। सीतामढ़ी में बजरंगबली की 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा लगवायी गयी है। ऐसी मान्यता है कि इसी जगह पर लव-कुश ने बजरंगबली को बंधक बनाया था। सीतामढ़ी में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं माता सीता के दर्शन और पूजन के साथ यहां भजन-कीर्तन करते हैं।
कैसे पहुंचें सीतामढ़ी

सीतामढ़ी काशी और प्रयाग के मध्य भदोही जिले में पड़ता है। पहले भदोही भी वाराणसी हिस्सा था, पर अब अलग जिला है। ज्यादातर लोग जो काशी और प्रयाग दर्शन के लिये आते हैं वह दोनों के मध्य स्थित सीतामढ़ी मंदिर पर रुककर दर्शन करते हैं। सीतामढ़ी मे अषाढ़ की नवमी को लव-कुश जन्मोत्सव मनाया जाता है और भव्य मेला लगता है। इस समय यहां भारी भीड़ भी रहती है।
हवाई सेवा

सीतामढ़ी जाने के लिये कोई सीधी हवाई सेवा नहीं है। प्लेन से जाने वालों को वाराणसी या प्रयागराज (इलाहाबाद) जाना होगा। वाराणसी एयरपोर्ट से देश के तकरीबन सभी राज्यों और बड़े शहरों से विमा सेवा है। यहां से इंटरनेशनल उड़ानें भी संचालित होती हैं। प्रयागराज से भी विमान सेवाएं फिलहाल केवल प्रमुख महानगरों और शहरों के लिये है। हालांकि इसका विस्तार हो रहा है। विमान से आने वाले प्रयागराज या वाराणसी तक विमान प्लेन से और उसके बाद सड़क के रास्ते सीतामढ़ी पहुंच सकते हैं।
रेल सेवा

सीतामढ़ी में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। नजदीकी रेलवे स्टेशन भदोही का ज्ञानपुर रोड है, जो वाराणसी-प्रयागराज रूट पर पड़ता है। इस रूट की कई महत्वपूर्ण गाड़ियों का यहां ठहराव भी है। हालांकि ट्रेन से सीतामढ़ी जाने वालों के लिये भी वाराणसी या इलाहाबाद जाना ज्यादा आसान है। वहां से सड़क मार्ग से सीतामढ़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग

सड़क मार्ग से सीतामढ़ी पहुंचना बेहद आसान है। यह नेशनल हाइवे संख्या दो जीटी रोड पर भदोही जिले के गोपीगंज के थोड़ा आगे ही पड़ता है। अपने वाहन से आना ज्यदा बेहतर है। रोडवेज की बसों की सेवा इलाहाबाद से प्रयगराज के बीच हर 20 मिनट पर है। निजी बस भी रूट पर बहुतायत हैं। रोडवेज बसों से हाइवे पर जंगीगंज उतरकर सवारी के जरिये मंदिर पहुंचा जाता है।
कहां ठहरें

सीतामढ़ी जाकर दर्शन करने के बाद वहां ठहरने के लिये मंदिर ट्रस्ट की ओर से वहीं एक आलीशान होटल भी बनाया गया है, जहां सामान्य दर पर एसी कमरे भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा भदोही शहर में कई होटल हैं जहां ठहरा जा सकता है। वाराणसी या प्रयागराज में रुककर भी निजी वाहन या बस से दर्शन कर वापस लौटा जा सकता है।

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