बिलासपुर. संपत्ति संबंधी अपराधों की जांच में पुलिस लगातार कमजोर साबित हो रही है। जिले के 18 थानों में वर्ष 2016 में दर्ज हुए 800 मामलों में अपराधियों का सुराग नहीं मिलने पर पुलिस ने खात्मा पेश कर दिया है। इनमें अधिकांश संपत्ति संबंधी अपराध हैं। वहीं पुलिस के पास अब भी पेंडिंग अपराधों की लंबी फेहरिस्त है। जिले के 18 थानों में लगभग 1800 मामले पेंडिंग हैं। इन मामलों में सुराग नहीं मिल पा रहा। खात्मा पेश करने की तैयारी की जा रही है। जिले में अपराध का आंकड़ा 5500 से पार हो चुका है। 18 थानों में वर्ष 2016 में नवंबर महीने तक ये मामले दर्ज किए गए। इनमें संपत्ति संबंधी अपराधों की संख्या अधिक है। बाइक चोरी और, नकबजनी और चोरी के अधिकांश मामलों में पुलिस को अपराधियों का सुराग नहीं मिल सका। एफआईआर दर्ज होने के चार महीने तक पुलिस ने मामले की जांच की, फिर अपराधियों का सुराग हाथ नहीं लगने पर लोगों के बयान दर्ज करने और अधिकारियों से अनुमति लेने के बाद जांच बंद कर दी थी। अब इन मामलों का खात्मा कर दिया गया है। इनमें लाखों की चोरी के मामले भी शामिल हैं। हालांकि इनके लिए दूसरे प्रदेशों तक में टीम भेजी गई थी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। वर्ष 2012 में हुआ था 23 मामलों का खुलासा वर्ष 2012 में जिले की क्राइम ब्रांच ने पारधी गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने सिविल लाइन थाना क्षेत्र में 23 अलग-अलग स्थानों पर चोरी की वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया था। जिन घटनाओं में खुलासा हुआ था, वे वर्ष 2008-10 के बीच हुए थे। पुलिस ने इन मामलों का पहले ही खात्मा कर दिया था। बाइक चोरी के मामले अधिक जिले में बाइक चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस साल के 11 महीने में 700 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 167 मामलों में न तो चोर पकड़े, न ही गाडिय़ां बरामद हुईं। इनमें भी खात्मा पेश कर दिया गया है। दिसंबर में बढ़ जाएगी संख्या वर्ष 2016 के अंतिम महीने में पुलिस के सामने पेंडिंग मामलों का निकराकरण एक चुनौती रहती है। वर्तमान में जिले के 18 थानों में पेंडिंग अपराधों की संख्या लगभग 1800 है। इनमें या तो कोर्ट में चालान पेश करना है, या फिर खात्मा। लेकिन पता ये चल रहा है कि पुलिस ने अभी से 70 फीसदी मामलों में खात्मा पेश करने की तैयारी कर ली है। साक्ष्य नहीं मिलने पर आमतौर पर मामलों में खात्मा पेश किया जाता है। विवेचना में पुलिस कोई कसर नहीं छोड़ती। जिन मामलों का खात्मा किया जाता है उसकी सूचना कोर्ट को देनी पड़ती है। कोर्ट तय करती है कि मामलों का खात्मा किया जाना है, या नहीं। जिन मामलों का खात्मा हो जाता है,उनमें सुराग मिलने पर फिर से विवेचना की जाती है। लखन पटले, सीएसपी, सिविल लाइन