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रोहिंग्या मुसलमानों पर लोकसभा में तीखी बहस, BJP सासंद की मांग – अपराध में लिप्त शरणर्थियों को किया जाए बाहर

विपक्ष ने म्यांमार में हिंसा के शिकार होकर भारतीय शरणार्थी शिविरों में रह रहे करीब सवा लाख रोहिंग्या मुसलमानों की दयनीय हालत का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में शरणार्थी कानून बनाया जाना चाहिए।

Apr 11, 2017 / 05:54 pm

पुनीत कुमार

Rohingya Muslim

लोकसभा में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों आपस में भिड़ते दिखें। जहां विपक्ष ने मनावता के नाते इन शरणर्थियों पर केंद्र सरकार से ध्यान देने की बात की, तो वहीं सत्ता पक्ष ने जहां उन्हें अपराधों एवं आतंकवाद में लिप्त बंगलादेशी मुसलमान बताते हुए देश से बाहर निकालने की मांग पर अड़ते दिखें। 
विपक्ष ने म्यांमार में हिंसा के शिकार होकर भारतीय शरणार्थी शिविरों में रह रहे करीब सवा लाख रोहिंग्या मुसलमानों की दयनीय हालत का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में शरणार्थी कानून बनाया जाना चाहिए। 
शून्यकाल में बीजेपी के निशिकांत दुबे ने यह मामला उठाते हुए कहा कि देश पहले से ही बंगलादेशी घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है। वहीं अबरोहिंग्या मुसलमान आ रहे हैं। वे भी बंगलादेश से म्यांमार गए और वहां से अब भारत आ रहे हैं। ये लोग नकली नोटों के व्यापार, उग्रवाद, नक्सलवाद आदि में लिप्त हैं और उनके रोकने के प्रयास नहीं होने से वे आधार कार्ड हासिल करने में भी कामयाब हो रहे हैं। 
साथ ही कहा कि कई इलाकों में तो आबादी का अनुपात भी बदल गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार एक आयोग बना कर उनकी जांच कराए और जो भी भारत के नहीं हैं, उन्हें बाहर कर दिया जाए। 
इसके बाद कांग्रेस के सदस्य एवं पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने इसी पर बोलते हुए कहा कि भारत की परंपरा एवं इतिहास बहुत ही अनुकरणीय रहा है। हजारों सालों से हमने अनेक समुदायों के तमाम लोगों को शरण दी है। उन्होंने कहा कि एक दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या करीब सवा लाख है जो बेहद दयनीय हालत में रह रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि निराधार आरोप लगाने की बजाए देश में एक शरणार्थी कानून बनाए जाने की जरूरत है ताकि अफवाहों एवं प्रेस रिपोर्टों के आधार पर दुष्प्रचार अभियान नहीं चलाया जा सके। उन्होंने सरकार से इस बारे में कदम उठाने का अनुरोध किया। 
कम्युनिस्ट पार्टी के ए संपत ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस संबंध में पूर्व में दिए गए एक वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने 10 लाख डॉलर की राशि उनके पुनर्वास के लिए दिए हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों में केवल मुसलमान नहीं बल्कि हिन्दु एवं ईसाई भी शामिल हैं। इस मुद्दे का म्यांमार सरकार के साथ द्विपक्षीय ढंग से समाधान खोजा जाना चाहिए।

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