कोर्ट ने गुप्ता, क्रोफा आैर सामरिया के अलावा केएसएसपीएल फर्म के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया को कोयला घोटाले के एक मामले में दोषी ठहराया है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने मध्यप्रदेश के थेसगोरा-बी रुद्रपुरी कोयला ब्लाक आवंटन में हुई अनियमितताओं से जुड़े इस मामले में चार्टर्ड एकाउंटेंट अमित गोयल को बरी कर दिया।
यह कोयला ब्लाक केएसएसपीएल फर्म को आवंटित किया गया था। मामले में आठ अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। न्यायालय ने इससे पहले आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे और कहा था पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस मामले में एचसी गुप्ता ने अंधेरे में रखा। अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि गुप्ता ने कोयला ब्लाक आवंटन मसले पर कानून और उनके ऊपर किए गए भरोसे को तोड़ा है।
सीबीआई ने अपने आरोपों में कहा था कि इस मामले में कोल ब्लॉक के लिए जो आवेदन किया गया था वह अधूरा था और दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं होने के कारण उसे मंत्रालय को खारिज कर देना चाहिए था। जांच एजेन्सियों का यह भी आरोप था कि कंपनी ने अपनी शुद्ध परिसंपत्ति और मौजूदा क्षमता के भी गलत तथ्य पेश किए थे। राज्य सरकार की तरफ से भी कंपनी को कोई भी कोल ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश नहीं की गर्इ थी। ब्यूरों ने अपने आरोपों में धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश और आपराधिक आचरण के आरोप लगाए थे।