जयपुर

पूर्ण हुआ 36 घंटे का निर्जल उपवास

 जैसलमेर के गड़ीसर तालाब पर बुधवार को सूर्योदय के साथ ही छठ व्रतियों ने
भगवान सूर्य को दूध व गंगा जल का अघ्र्य दिया और सुख, संपन्नता, आरोग्य व
संतान की कामना की। सूर्योदय के दौरान गड़ीसर तालाब के तट पर बिहार,
उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तरांचल के प्रवासी लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सभी
ने उल्लास व श्रद्धा के माहौल में पूजन किया।

जयपुरNov 19, 2015 / 01:52 am

shantiprakash gour

 जैसलमेर के गड़ीसर तालाब पर बुधवार को सूर्योदय के साथ ही छठ व्रतियों ने भगवान सूर्य को दूध व गंगा जल का अघ्र्य दिया और सुख, संपन्नता, आरोग्य व संतान की कामना की। सूर्योदय के दौरान गड़ीसर तालाब के तट पर बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तरांचल के प्रवासी लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सभी ने उल्लास व श्रद्धा के माहौल में पूजन किया।

तीन दिन के व्रत के निर्विघ्न संपन्न होने के कारण लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। माहौल में डीजे की धुनों पर गूंजते भक्ति संगीत और उनके सुर से सुर मिलाते श्रद्धालुओं के कारण समूचा माहौल आध्यात्मिकता से परिपूर्ण देखने को मिला। यहां पौ फटते ही लोग पहुंचने शुरू हो गए। इस दौरान 36 घंटे का निर्जला उपवास भी पूरा हुआ। मंगल गीतों के बीच व्रती महिलाओं व पुरुषों ने मंगलवार को उदय होते दिनकर को अघ्र्य अर्पित किया। इस दौरान जैसाणे में जहां उत्तर भारत के परिवेश के दर्शन हुए, वहीं विविधता में भी एकता का रूप देखने को मिला।

विधिवत किया सूर्यदेव का पूजन
कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन संपन्न हुए छठ व्रत के दौरान गड़ीसर तालाब के तट पर लोगों की काफी रेलमपेल देखने को मिली। इस दौरान लोगों ने जमकर अतिशबाजी की और पटाखे छोड़े। रंग-बिरंगे परिधान में सिर पर बांस की बनी विशेष टोकरी दउरा व सूपली में पूजन सामग्री लेकर घर के पुरुष आगे-आगे व उनके पीछे व्रति महिलाएं, उनके रिश्तेदार व बच्चे ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब पर पहुंचे। इस दौरान घाट पर घरों में बने पकवान ठेकुआ, ऋतु फलों-पुष्प-कंदमूल से सूर्यदेव का पूजन किया गया।
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