अजमेर

जननी सुरक्षा भी नहीं बनी इनकी मददगार, हर साल जाती हैं जानें

राज्य सरकार की ओर से मातृ-मृत्यु दर कम करने के लिए शुरू की योजनाएं भी ‘जननी की सुरक्षा एवं जान बचाने के लिए नाकाफी साबित हो रही है।

अजमेरJul 18, 2016 / 08:54 am

Pregnant woman doctor sterilization

राज्य सरकार की ओर से मातृ-मृत्यु दर कम करने के लिए शुरू की योजनाएं भी ‘जननी की सुरक्षा एवं जान बचाने के लिए नाकाफी साबित हो रही है। प्रसव काल में तबीयत बिगडऩे एवं उच्च चिकित्सा व्यवस्था के लिए हेल्थ सेन्टर तक गर्भवती पहुंच ही नहीं पाई या प्रसूता को उपचार नहीं मिल पाया। बीते एक साल में मातृ मृत्यु का आंकड़ा 35 तक पहुंच गया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं/ प्रसूता को समुचित चिकित्सा व्यवस्था, जांचों सहित दवाइयों की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने एवं प्रसव के बाद घर तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस 108, 104 सहित अन्य वाहनों की व्यवस्था की गई है। 
इसके बावजूद जिले में बीते वर्ष 15 से अधिक महिलाएं प्रथम लेवल के अस्पताल तक भी नहीं पहुंच पाई/या उन्हें प्राथमिक उपचार नहीं मिला और उनकी मौत हो गई। अप्रेल 2015 से मार्च 2016 तक 35 गर्भवती/प्रसूताओं की मौत हो गई। अभब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री जननी सुरक्षा योजना एम्बुलेंस 104, एम्बुलेंस 108 की जानकारी आम ग्रामीण को है या नहीं है। मेटरनल डेथ रिपोर्ट के अनुसार मरने वाली माताओं में से 6 तो ऐसी हैं जिनकी उम्र महज 20 व 21 वर्ष की है। 
जननी की सुरक्षा के लिए लगाई गई एम्बुलेंस 104 की सुविधा से आज भी ग्रामीण बेखबर हैं। गर्भवती महिलाओं की तबियत बिगडऩे पर प्राथमिक उपचार की कमी मातृ मृत्यु की सबसे बड़ी वजह है। 
किसी भी वाहन का भुगतान देयसीएमएचओ डॉ. के.के. सोनी के अनुसार 104, 108 एम्बुलेंस की व्यवस्था है। अगर कोई अपने/ किराए के वाहन से भी गर्भवती महिला को लेकर आते हैं तो भुगतान देय है। कई बार गर्भवती महिला के परिवार में मुखिया नहीं होता है, निर्णय लेने वाला नहीं होता है।
फैक्ट फाइल

कुल मौत-35 (वर्ष 2015-16 )

30 वर्ष से अधिक आयु की – 01

20 से 30 वर्ष तक- 34
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