हरिदेव जोशी राजकीय कन्या महाविद्यालय में शनिवार को स्नातक तृतीय वर्ष की छात्राआें की भूगोल प्रायोगिक परीक्षाएं आखिरकार निपटा दी गईं। परीक्षा से एक दो रोज पहले यहां अस्थाई रूप से भेजे गए भूगोल के व्याख्याता ने छात्राओं को परीक्षा के गुर बताए और जैसे-तैसे फाइल तैयार करा दी, लेकिन बिना पूरी तैयारी के परीक्षा के मोर्चे पर पहुंची तो कम्पास की मदद से उत्तर-दक्षिण दिशा तक नहीं बता सकीं।आयुक्तालय के निर्देश पर यहां पहुंचीं परीक्षक ने सुबह करीब 10 बजे प्रायौगिक इम्तिहान शुरू किया। पहले छात्राओं से महाविद्यालय परिसर का सर्वे करवाया गया और फिर लिखित पर्चा हुआ। इसके बाद परीक्षक ने कम्पास थमा कुछ छात्राओं से उत्तर-दक्षिण दिशा पूछी तो वे चकरा गईं। छात्राएं कम्पास को उलट-पुलट करती रहीं, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं बना। इसके बाद अन्य उपकरणों के नाम उपयोग व प्रयोग पर भी व चुप रहीं। परीक्षक ने सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछ वाय-वा (मौखिक परीक्षा) की औपचारिकता पूरी की। यहां छात्राओं की प्रायोगिक फाइल भी जांच गई। छात्राओं के अनुसार यह फाइलें उन्होंने गत गत वर्ष के परीक्षार्थियों की पुरानी फाइलों से ट्रेस कर बनाई थी। 12वीं में पढ़ा था छात्रा कीर्ति भावसार ने कहा कि हमने 12वीं कक्षा में जो पढ़ा था उसी के आधार पर बॉयज कॉलेज में पढ़ रहीं छात्राओं से पूछ कर फाइल तैयार की है। व्याख्याता नहीं होने के कारण हमारे अंकों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।सर नहीं थे हम क्या करते छात्रा ललिता सिंघाड़ा ने कहा कि हम तो दूर गांव रहते हैं। भूगोल विषय में सर ही नहीं हैं। इसलिए हम रोज कॉलेज नहीं आते। भूगोल की किताब में जो थोड़ा बहुत पढ़ा है उसके अनुसार परीक्षा दी है।