अहमदाबाद। आय घोषणा योजना (आईडीएस) के अंतिम दिन 30 सितंबर को इसकी समय सीमा समाप्त होने से मात्र पांच मिनट पहले आधी रात को करीब 13,860 करोड़ रुपए के काले धन (सारी नकदी) की घोषणा कर लापता होने और दो दिन पहले अचानक एक टीवी चैनल के स्टूडियो में पहुंच जाने के बाद नाटकीय ढंग से पकड़े गए अहमदाबाद निवासी रहस्यमय व्यवसायी महेश शाह ने सोमवार को दूसरी बार भी करीब छह घंटे की पूछताछ के दौरान कोई नाम नहीं बताया, जबकि आयकर विभाग ने ‘मानवीय’ आधार पर उन्हें कैंसरग्रस्त पत्नी के इलाज के लिए तीन-चार दिन का समय दे दिया।
आयकर अधिकारी पी सी मोदी ने शाम को पत्रकारों को बताया कि अब तक शाह ने कोई भी नाम उजागर नहीं किया है। उन्होंने कहा कि शाह ने अपनी कैंसरग्रस्त पत्नी के इलाज के लिए तीन-चार दिन का समय मांगा जिसे मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया गया। उनसे बाद में आगे पूछताछ की जाएगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आईडीएस घोषणा के बारे में उन्होंने आज भी यह नहीं बताया कि किसके लिए उन्होंने यह घोषणा की है।
उधर रविवारन की पूछताछ के बाद उन्हें पुलिस वर्दी में उनकी पुत्री के घर ले जाने के मामले की भी आंतरिक जांच की जा रही है। हालांकि, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे सैटेलाइट थाने के प्रभारी ने कहा कि यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया था। उधर राज्य के प्रभारी पुलिस महानिदेशक पी पी पांडेय ने सूरत में इस मामले में पत्रकारों से कहा कि कई बार जरूरत पडऩे पर सुरक्षा के लिहाज से अपराधियों को बुर्के में भी ले जाना पड़ता है।
नाटकीय ढंग से किया गिरफ्तार इस बीच, पुलिस कड़ी सुरक्षा में जोधपुर इलाके में स्थित उनके आवास से सुबह उन्हें आईटी कार्यालय ले आई जहां करीब छह घंटे तक उनसे पूछताछ की गई। इस दौरान आज भी उन्हें चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराई गई। कल उन्हें आंशिक पूछताछ के बाद स्वास्थ्य कारणों से आराम के लिए घर भेज दिया गया था। गौरतलब है कि कई दिनों की रहस्यमय गुमशुदगी के बाद तीन दिसंबर की शाम शाह अचानक एक गुजराती समाचार चैनल के स्टूडियो में पहुंच गए और दावा किया कि यह पैसा उनका नहीं बल्कि कुछ लोगों का है और वह सभी बातों का खुलासा आयकर विभाग के समक्ष करेंगे और इसी दौरान पुलिस और आयकर विभाग के कर्मियों ने उन्हें स्टूडियो से ही नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया।
जल्द करूंगा सभी लोगों के नामों का खुलासा पुलिस उन्हें साक्षात्कार के बीच ही पकड़ कर आगे की पूछताछ के लिए सरखेज थाने ले गई जहां से उन्हें आयकर विभाग को सौंप दिया गया था। अपने अजीबोगरीब रवैये से सबको हैरत में डाल देने वाले 67 वर्षीय महेश शाह ने कहा कि यह बात 100 प्रतिशत सच थी और वह सचमुच में इसकी कर की राशि भरने वाले थे। पर जिन लोगों का पैसा था वह अंतिम समय में मुकर गए जिस वजह से वह ऐसा नहीं कर पाए। अचानक ऐसा होने से पैदा हुई घबराहट के कारण वह आयकर विभाग के पास नहीं जा पाए थे। उन्होंने कहा कि वह बहुत जल्द सभी लोगों के नामों का खुलासा करेंगे।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा था कि यह पैसा किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि कई लोगों का है। उन्होंने इसमें से किसी के अपराधी होने की बात से इनकार किया तथा इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं किया कि यह पैसा राजनेताओं, अधिकारियों या व्यवसायियों का हो सकता है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं जमीन की दलाली के धंधे से जुड़े हैं, लेकिन यह पैसा उनका नहीं था, उन्हें कुछ पैसा बनाने की लालच में इस पैसे को अपने नाम से जमा कराने की बात सोची थी और उन्हें इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा था।
नरम रवैये को लेकर उठ रहे सवाल गौरतलब है कि शाह ने उक्त राशि पर योजना के तहत लगने वाले 6,237 करोड़ रुपए के कर (कुल राशि का 45 प्रतिशत) की पहली किश्त के तौर पर करीब 1,560 करोड़ रुपए 30 नवंबर तक देने का वादा किया था, पर उन्होंने ऐसा नही किया। इस बीच अब तक सामान्य पृष्ठभूमि का समझे जा रहे शाह और उनके परिजनों के कथित विलासपूर्ण और खर्चीले जीवन और उनके कुछ धोखाधड़ी वाले लेन देन के बारे में रिपोर्टें भी आ रही हैं। उनके पुत्री और दामाद के खातों में हुए बड़े लेन देन पर भी आयकर विभाग की नजर है। लंबी पूछताछ के बाद भी कोई नतीजा अथवा नाम सामने नहीं आने और उनके साथ आयकर विभाग के कथित नरम रवैये को लेकर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।