लखनऊ. बलिया की बाटी चोखा बेचने वाला बबलू चिंतित है। उसकी चिंता सपा परिवार में पड़ी फूट से है। सूबे के सबसे बड़े सियासी परिवार में कलह शांति के लिए उसने व्रत रहना शुरू कर दिया है। बबलू समाजवादी पार्टी का न पदाधिकारी है और न ही कार्यकर्ता। उसके परिवार के लोग भी इस पार्टी में किसी भी रूप में नहीं जुड़े हैं। पर बबलू असली समाजवादी है। केवल 20 रुपए में सबका पेट भर देता है। बाटी चोखा बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने वाले बबलू की इस जवानी में ही समाजवादियों की तरह दाढ़ी बढ़ गई है। घोर श्यामल रंग में काली दाढ़ी के बीच बीच में सफेद बाल भी बबलू के चेहरे में चमकने लगे हैं। बबलू का बाटी चोखा का खोखा विक्रमादित्य मार्ग पर सपा के प्रदेश कार्यालय के ठीक सामने है। रविवार की दोपहर को बबलू ने चिंता भरे स्वर में पूछा कि अब क्या होगा। यहां सब ठीक नहीं होगा क्या? फिर बोला, एक बार नेता जी ही कायदे से सबको डपट देंगे देखना सब ठीक हो जाएगा। ये भी पढ़िए- युवाओं में अखिलेश के प्रति सिम्पैथी, लेकिन चुनाव में सिखाएंगे सपा को सबक बबलू की दुकान में ग्राहकों की भीड़ आज रोज की तुलना में कम थी। एक तो रविवार था दूसरा सपा परिवार में आपसी विवाद का अनवरत चल रहा सिलसिला। बबलू ने कहा कि देखिए अगर ऐसा रहेगा तो यहां कौन आएगा। पार्टी फले फूलेगी तो हमारी रोजी रोटी भी चलेगी न…। बबलू की चिंता वाजिफ थी। यहां एक अकेला बबलू नहीं है। बहुत से लोग हैं जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में सपा से जुड़े हुए हैं। कोई झंडा बेनर बेच रहा है तो कोई पोस्टर। खस्ते की दुकान भी सिर पर लिए रामू ग्राहकों के पीछे पीछे चल रहा है। लेकिन इन सबका कहना था कि अगर सपा परिवार में ऐसा ही रहा तो यहां भीड़ नहीं आएगी और जब भीड़ नहीं आएगी तो वह क्या करेगा। हमारा परिवार तो भूखा रह जाएगा। अपने परिवार की भूख भरने के लिए बबलू वृत कर रहा है कि सपा सरकार फिर से आ जाए और उसकी रोजी रोटी चलती रहे।