फोनरवा के प्रेसीडेंट ने पत्रिका से की खुलकर बात, कहा- राजनीति में भी 70 साल में हाे रिटायरमेंट, ताे युवाआें को मिले मौका
NP Singh
नाेएडा। जिस स्टेट का सीएम अखिलेश जैसा एक युवा हाे, उसके बाद भी पार्टी के बुजुर्ग लोगों की बात ही मानी जाती हो, वहां युवाआें का क्या स्कोप हो सकता है। जब तक कानून में राजनीति के अंदर रिटायरमेंट की एज फिक्स नहीं हो जाती, तब तक युवाआें को अपनी प्रतिभा दिखाने का कोर्इ मौका नहीं मिल सकता है। इसलिए पाॅलिटिक्स में बुजुर्गों का बाहर का रास्ता दिखाना काफी जरूरी हो गया है। ये कहना है फेडरशन आॅफ नाेएडा रजिडेंट्स वेलफेयर एसाेसिएशन के प्रेसीडेंट एनपी सिंह का। युवाआें को मिले मौका
एनपी सिंह का कहना है कि प्रदेश में एेसे युवाआें की कोर्इ कमी नहीं है, जो पाॅलिटिक्स में कमाल दिखा सकते हैं। अपने अनुभवों आैर योग्यता से प्रदेश में साफ-सुथरी सरकार कायम कर सकते हैं। लोगों की अपेक्षाआें को पूरा कर सकते हैं। प्रदेश में अपने नए थाॅट्स से डेवलपमेंट की राह दिखा सकते हैं। ये तभी हो सकता है जब प्रदेश में एेसे युवाआें का पूरा माैका मिल सके। उन्हें टोकने वाला कोर्इ ना हो। उनके सामने बुजुर्ग आैर संकुचित दिमाग वाले पाॅलिटीशियन ना हों। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियाें को अपने युवा नेताआें को आगे लाना चाहिए। काॅलेज पासआउट एेसे छात्र नेताआें का चयन करना चाहिए जिनके पास विजन हो। जो प्रदेश में बाकी युवाआें के लिए रास्ता तैयार कर सकें। 70 साल में हो रिटायरमेंट
देश हाे या प्रदेश एेसे कर्इ नेता हैं, जाे 80 साल के होने के बाद भी चुनाव लड़ते हैं। सत्ता का लोभ उन्हें कुर्सी छोड़ने की इजाजत नहीं दे रहा है। एेसे में युवाआें को मौका मिलने में काफी मुश्किल हो रही है। कानून में एेसे बदलाव की जरुरत है कि तय समय सीमा के बाद पाॅलिटिक्स से रिटायरमेंट हो जाए। उन्होंने कहा सरकारी नौकरी वाले आदमी का 60 साल के बाद रिटायर कर दिया जाता है। तो पाॅलिटिक्स में क्याें नहीं। एेसे में विधानसभा जाने के लिए भी व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले पाॅलिटीशियन के लिए 70 साल रिटायरमेंट एज घोषित कर देनी चाहिए।