ऑनलाइन विरोध शुरू किया गया था व्याख्याताओं ने हालांकि गांधी के उस कथन का हवाला देते हुए उनकी प्रतिमा को हटाए जाने का आह्वान किया था,जिसमें दावा किया गया है कि अश्वेत अफ्रीकी लोगों की तुलना में भारतीय श्रेष्ठ हैं। प्रतिमा हटाये जाने के लिए ऑनलाइन विरोध शुरू किया गया था। छात्रों और व्याख्याताओं ने मीडिया को बताया कि अक्रा में विश्वविद्यालय के लेगोन परिसर में लगी गांधी की प्रतिमा को मंगलवार और बुधवार की रात को हटा दिया गया।
3 हजार लोगों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए गौरतलब है कि दक्षिण-पूर्वी अफ्रीकी देश मलावी की राजधानी ब्लांटायर में भी बापू की प्रतिमा स्थापित करने की योजना के विरोध में करीब 3 हजार लोगों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। उनका कहना है कि भारतीय स्वतंत्रता के नायक ने दक्षिणी अफ्रीकी देश के लिए कुछ नहीं किया है। महात्मा गांधी के नाम पर बने एक मार्ग के साथ-साथ उनकी प्रतिमा बनाने का काम दो महीने पहले शुरू हुआ था। मलावी सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा एक समझौते के तहत खड़ी की जा रही है जिसके तहत भारत ब्लांटायर में एक करोड़ डॉलर की लागत से एक सम्मेलन केंद्र का निर्माण करेगा।
लोगों पर यह प्रतिमा थोपी जा रही है इसके विरोध में गांधी मस्ट फॉल समूह ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता एवं आजादी के लिए मलावी के संघर्ष में कोई योगदान नहीं दिया। बयान में कहा गया कि इसलिए उन्हें लगता है कि मलावी के लोगों पर यह प्रतिमा थोपी जा रही है और यह एक विदेशी ताकत का काम है जो मलावी के लोगों पर अपना दबदबा और उनके मन में अपनी बेहतर छवि बनाना चाहती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि गांधी नस्लवादी थे।
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