वे यहीं नहीं रुके, उन्होंने अन्य टीवी चैनलों से भी कहा कि ऐसे न्यूज एंकरों, प्रेजेंटरों और लोगों को अपने प्रोग्राम में शामिल नहीं करना चाहिए जो मोटापे का शिकार हों। उन्होंने यह भी कहा कि शारीरिक शिक्षा को स्कूल और यूनिवर्सिटीज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। इससे शुरुआत से ही लोग खान-पान और लाइफस्टाइल के बारे सचेत रहेंगे।
इसके अगले दिन फिटनेस के प्रति सजग राष्ट्रपति सीसी साइकिल से नेशनल मिलिट्री अकादमी पहुंचे और वहां कैडेट्स से बोले कि उन लोगों की बेसिक ट्रेनिंग तब तक पूरी नहीं मानी जाएगी, जब तक कि वह फिटनेस की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं करते।
राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद मिस्र में इस मुद्दे पर जबर्दस्त बहस शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति की आलोचना भी हो रही है। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति ने मोटापे की समस्या से लड़ने के लिए कोई प्लान नहीं बताया और गरीब मुल्क के लोगों से खुद ही इससे निपटने का आग्रह कर रहे हैं।
बता दें, मिस्र में मोटापा एक बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है। सन 2017 के एक अध्ययन के अनुसार- यहां पर मोटापे की दर दुनिया में सबसे अधिक है। आंकड़ों पर नजर डालें, तो हर तीन में से एक व्यस्क व्यक्ति मोटापे का शिकार है। यानी देश की कुल आबादी का 35 प्रतिशत हिस्सा मोटापे का शिकार माना जा सकता है। इस तरह 10 करोड़ की आबादी में से तकरीबन दो करोड़ लोग मोटापे का शिकार हैं।