लगातार हो रहे हैं हमले
भारतीय सेना के के अधिकारियों के मुताबिक 6 अक्टूबर को हथियारबंद “मे-मे” विद्रोहियों ने भारतीय सेना की लुबेरो चौकी पर हमला किया था। यह चौकी उत्री किवु के मुख्य शहर गोमा से उत्तर में 300 किलोमीटर दूर स्थित है। खबर के मुताबिक, 2017 की शुरुआत से ही विद्रोही उत्तरी और दक्षिणी किवु में लगातार सेना की चौकियों पर हमला कर रहे हैं। 6 अक्टूबर को भारतीय सेना की टुकड़ी ने उनके हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। जवाबी हमले में भारतीय जवानों ने दो विद्रोहियों को मार गिराया और दो अन्य घायल हो गए। इस कार्रवाई में भारतीय सेना के दो जवानों को भी चोट पहुंची है।
22 बच्चों को बचाया था भारतीय जवानों ने
कांगो में संयुक्त राष्ट्र ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती की है। पिछले महीने भारतीय सेना ने 22 बच्चों को विद्रोहियों के चंगुल से छुड़ाया था। विद्रोहियों ने इन बच्चों को बाल सैनिक बनाने के लिए बंधक बनाया था और उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। भारतीय सेना ने 16 सितंबर को यह कार्रवाई की। सेना को स्थानीय ग्रामीणों से इस बारे में जानकारी मिली थी। ग्रामीणों ने बताया था कि बच्चों को विद्रोही अपने गुट में शामिल करना चाहते हैं। विद्रोहियों से छुड़ाने के बाद इन बच्चों को संयुक्त राष्ट्र की बाल सुरक्षा एजेंसी के सुपुर्द कर दिया गया।
भारतीय सेना के के अधिकारियों के मुताबिक 6 अक्टूबर को हथियारबंद “मे-मे” विद्रोहियों ने भारतीय सेना की लुबेरो चौकी पर हमला किया था। यह चौकी उत्री किवु के मुख्य शहर गोमा से उत्तर में 300 किलोमीटर दूर स्थित है। खबर के मुताबिक, 2017 की शुरुआत से ही विद्रोही उत्तरी और दक्षिणी किवु में लगातार सेना की चौकियों पर हमला कर रहे हैं। 6 अक्टूबर को भारतीय सेना की टुकड़ी ने उनके हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। जवाबी हमले में भारतीय जवानों ने दो विद्रोहियों को मार गिराया और दो अन्य घायल हो गए। इस कार्रवाई में भारतीय सेना के दो जवानों को भी चोट पहुंची है।
22 बच्चों को बचाया था भारतीय जवानों ने
कांगो में संयुक्त राष्ट्र ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती की है। पिछले महीने भारतीय सेना ने 22 बच्चों को विद्रोहियों के चंगुल से छुड़ाया था। विद्रोहियों ने इन बच्चों को बाल सैनिक बनाने के लिए बंधक बनाया था और उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। भारतीय सेना ने 16 सितंबर को यह कार्रवाई की। सेना को स्थानीय ग्रामीणों से इस बारे में जानकारी मिली थी। ग्रामीणों ने बताया था कि बच्चों को विद्रोही अपने गुट में शामिल करना चाहते हैं। विद्रोहियों से छुड़ाने के बाद इन बच्चों को संयुक्त राष्ट्र की बाल सुरक्षा एजेंसी के सुपुर्द कर दिया गया।