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मजदूरों ने सुनाई उनपर बीती व्यथा
दरअसल, लॉकडाउन के कारण मजदूरी के सारे काम बंद हो गए हैं, ऐसे में राजस्थान में काम करने वाले एमपी के मजदूरों के राजस्थान सरकार की ओर से प्रायवेट बसों के जरिए पोकरण से मप्र की सीमा तक पहुंचाने के लिए तीन बसों में बैठा दिया। मजदूरों के मुताबिक, बस ड्राइवर ने उनसे एक-एक हजार रूपये किराया लिया। ये किराया सभी 300 मजदूरों से लिया गया, जो लगभग 3 लाख रूपये होगा। लेकिन, बस चालक रात के समय हमें मप्र और राजस्थान की सीमा पर जंगल में छोड़ दिया। मजदूरों के मुताबिक, जैसे-तैसे वो एमपी की सीमा पर बसे गांव सेमली गल्डा पहुंचे तो वहां के सरपंच ने हमारी मदद की और प्रशासन को सूचना दी। उसके बाद ट्रैक्टरों के जरिए हमें यहा लाया गया है। यहां उनके लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से भोजन की व्यवस्था की गई। मजदूरों ने बताया कि, उनमें से कई रायसेन जिले में रहता है तो कोई इंदौर जिले में, कोई उज्जौन, तो राजगढ़ जिले में, अन्य कई ग्रामीण अंचलों के भी निवासी हैं। इनमें कई मजदूर तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने पिछले तीन तीन दिन से भोजन तक नहीं किया था। फिलहाल, उन सभी मजदूरों को सुसनेर में ही रोका गया है।
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‘आगामी निर्देश के बाद ही उन्हे आगे छोड़ा जाएगा’
सुसनेर थाना प्रभारी विवेक कानोडिया ने बताया कि, 300 के लगभग मजदूर राजस्थान के पोकरण और बाड़मेड़ से मप्र की सीमा पर आ पहुंचे हैं। उन्हें सुसनेर के स्वामी विवेकानंद कॉलेज में रखा गया है। यहां उनकी जांच करवाई जा रही है। इसके बाद प्रशासन के निर्देशानुसार उन्हें आगे भेजने की व्यवस्था की जाएगी।