अगार मालवा

प्रशासनिक लापरवाही से ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं मिल रहा पीएम आवास योजना का लाभ

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए ग्रामीणों को खासी मशक्कत करना पड़ रही है।

अगार मालवाMay 09, 2018 / 01:03 am

Lalit Saxena

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए ग्रामीणों को खासी मशक्कत करना पड़ रही है।

आगर-मालवा. प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए ग्रामीणों को खासी मशक्कत करना पड़ रही है। निचले स्तर पर की जाने वाली लापरवाही एवं प्रशासनिक ढील-पोल के चलते योजना का क्रियान्वयन समुचित रूप से नहीं हो पा रहा है। आए दिन ग्रामीणों का समूह कलेक्टोरेट शिकायत लेकर आ रहा है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति मंगलवार को कलेक्टोरेट में दिखाई दी। बड़ौद विकासखंड के चिकली सौंध्या निवासी दर्जनों महिलाएं पीएम आवास योजना का लाभ दिलवाए जाने की मांग करते हुए आईं। महिलाओं ने वहां मौजूद अधिकारियों से विनती करते हुए कहा हमें आवास योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। बुरी तरह फटकारा जा रहा है। साथ ही अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। हम अभी भी कच्चे तथा जर्जर मकानों में निवास करने को मजबूर हैं। इसके लिए हमारे द्वारा कई बार आवेदन दिए गए लेकिन अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की गई। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हमें भी लाभ दिया जाए। इस अवसर पर श्यामूबाई, दिनेशबाई, थानाबाई, राजाबाई, कृष्णाबाई, गंगाबाई, मानाबाई, चतरबाई, सूरजबाई, गीताबाई, गुलाबबाई, धापूबाई आदि महिलाएं उपस्थित थी।
शिकायत करते-करते थक गए ग्रामीण
बड़ौद विकासखंड के रलायती के ग्रामीण १ वर्ष से निरंतर गांव में स्थित एक स्टॉपडैम की मरम्मत को लेकर कभी जनसुनवाई में तो कभी सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन आज तक निराकरण नहीं हो पाया। ग्रामीणों ने १८ अक्टूबर २०१६ को कलेक्टर के समक्ष जनसुनवाई में शिकायत कर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करवाया था। जब निराकरण नहीं हुआ तो ३ जनवरी २०१७ को वापस शिकायत की फिर भी किसी ने नहीं सुनी। ४ अक्टूबर २०१७ को ग्रामीणों ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की जिसका निराकरण आज तक नहीं हो पाया और शिकायत एल-३ पर जा पहुंची। ग्रामीण गोकुलसिंह, रामचंद्र, रामलाल, सुजानसिंह, श्यामसिंह, नारायणसिंह, प्रहलादसिंह, सरदारसिंह आदि ने बताया कि हम लोग शिकायत करते-करते थक चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। स्टॉपडैम की मरम्मत आज तक नहीं हो पाई है। बेवजह हमें दफ्तरों के चक्कर लगवाए जा रहे हैं।

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