अगार मालवाPublished: Jan 11, 2018 12:43:21 am
Gopal Bajpai
बोली लगाने वाले ठेकेदार को दो बार दे चुके हैं नोटिस
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सुसनेर. नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने के लिए लिए आने वाले मरीजों के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा शुरू की जाने वाले कैंटीन व्यवस्था शुरू होने से पहले ही खटाई में पड़ गई है। इसके चलते अस्पताल में एक साल बीत जाने के बाद भी कैंटीन व्यवस्था का संचालन शुरू नहीं हो सका, जबकि इसी व्यवस्था को लागू करने के लिए रोगी कल्याण समिति दो बार बैठक कर प्रस्ताव पास कर चुकी थी। बैठक के निर्णयानुसार प्रस्ताव को अमल में लाकर सारी प्रक्रियाएं भी पूरी की गई। किंतु वास्तविकता में कैंटीन सुविधा अभी तक शुरू नहीं हो सकी। अब इस व्यवस्था को लागू करने के लिए अस्पताल प्रबंधन को फिर से रोकस की बैठक का इंतजार है।
जनवरी में अस्पताल के सूचना पटल पर विज्ञप्ति जारी कर कैंटीन के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए। इसमें अस्पातल के मुख्य द्वार पर समिति द्वारा आठ बाय आठ का टीनशेड तैयार कर ठेका पद्धति पर उसमें कैंटीन शुरू किए जाने की योजना बनाई गई थी। टेंडर भी हुए, लेकिन अस्पताल परिसर में अभी तक न तो टीनशेड लगा और न ही कैंटीन की प्रक्रिया आगे बढ़ पाई। इस वजह से वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों को उनके लिए खाद्य सामग्री आज भी बाजार से खरीदना पड़ रही है। स्वास्थ्य केंद्र में रोकस ने 11 नवंबर 2016 में लिए निर्णयानुसार अस्पताल परिसर में रोगियों को सुविधा मुहैया कराने की दृष्टि से गेट के समीप कैंटीन शुरू की जाना थी। इसके लिए विधिवत रूप से 3 जनवरी 17 को विज्ञप्ति जारी की गई थी। इसमें 10 जनवरी तक बोली लगाना थी। 19 लोगों ने बोली में भाग लिया। सर्वाधिक बोली 2 लाख 1 हजार रुपए की रजनीश सेठी ने लगाई। दूसरे नंबर पर विपिन लड्ढा ने 2 लाख, सत्यनारायण सोनी ने 1 लाख 72 हजार की बोली लगाई। सर्वाधिक बोली लगाने वाले सेठी को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ओर से दो बार 16 जनवरी 2017 को तथा 12 अप्रैल 2017 को नोटिस जारी किए गए। शर्त अनुरूप बोली समाप्त होने पर आधा रकम तुरंत जमा कराना थी इसके पश्चात रोकस ठेकेदार को टीनशेड डालकर तैयार कर देता। आज तक राशि नहीं जमा कराई गई। इस कारण कैंटीन व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी।
कैंटीन शुरू करने के लिए टेंडर आमंत्रित कर ठेका दिया गया है किंतु शुरू नहीं हो सका है। रोगी कल्याण समिति की बैठक में होगा। जब भी बैठक होगी जिला प्रशासन को प्रतिवेदन भेज देंगे।
डॉ. बीबी पाटीदार, बीएमओ