जहां मां का स्थान वहां से दूर रहता है संकट
जानकारी के अनुसार आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर मां बगलामुखी का भव्य मंदिर है। यह मंदिर धार्मिक व तांत्रिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि जिस नगर में मां बगलामुखी विराजित हो, उस नगर में किसी प्रकार का संकट देख भी नहीं पाता है। कहा जाता है, यहां स्वयंभू मां की मूर्ति महाभारतकाल की है। जहां युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के निर्देशन पर साधना कर कौरवों पर विजय प्राप्त की थी। यह स्थान आज भी चमत्कारों के कारण जाना जाता है।
मां के पास विराजित है लक्ष्मी और सरस्वती
मां बगलामुखी वह शक्ति है जो रोग तथा समस्त दुखों व पापों का नाश करती है। माता के इस भव्य मंदिर में त्रिशक्ति मां विराजित है। मान्यता है कि मध्य में मां बगलामुखी, उनके दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती विराजमान है। इस प्रकार त्रिशक्ति मां का मंदिर भारतवर्ष में दूसरा कहीं नहीं है। यहां बेलपत्र, चंपा, सफेद, आंकडे, आंवले तथा नीम एवं पीपल (एकसाथ) स्थित हैं। यह मां बगलामुखी के साक्षात होने का प्रमाण हैं। मंदिर के पीछे लखुंदर नदी (पुरातन नाम लक्ष्मणा) के किनारे कई संतों की समाधियां जीर्णक्षीर्ण अवस्था में हैं। यह मंदिर में बड़ी संख्या में संतों के रहने का प्रमाण है।
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कारीगर तुलाराम ने बनवाया था मंदिर
मंदिर में 16 खंभों वाला सभामंडप है, जो 252 साल पहले संवत 1816 में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर तुलाराम ने बनवाया था। सभा मंडप में मां की और मुख करता एक कछुआ है, जो यह सिद्ध करता है कि पुराने समय में मां को बलि चढ़ाई जाती थी। मंदिर के ठीक सम्मुख लगभग 80 फीट ऊंची दीपमालिका है। जिसका निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। मंदिर प्रांगण मे ही एक दक्षिणमुखी हनुमान का मंदिर, एक उत्तरमुखी गोपाल मंदिर तथा पूर्वमुखी भैरवजी का मंदिर भी है। मुख्य द्वार सिंहमुखी भी अपने आप में अद्वितीय है।
ऐसा है माता का भव्य स्वरूप
मां बगलामुखी में भगवान अर्धनारिश्वर महाशंभों के अलौलिक रूप का दर्शन मिलता है। भाल पर तीसरा नेत्र व मणिजडि़त मुकुट व चंद्र इस बात की पुष्टि करते हैं। मां बगलामुखी को महारुद्र (मृत्युंजय शिव) की मूल शक्ति के रूप में माना जाता है।
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ऐसे पहुंचे मां बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा
बगलामुखी माता का मंदिर आगर मालवा जिले की नलखेड़ा तहसील में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। यहां पहुंचने के लिए फ्लाइट से इंदौर सबसे नजदीक शहर पड़ता है, अगर आपको ट्रेन मार्ग से आना है, तो आप उज्जैन आएं। यहां से बस टैक्सी के माध्यम से आप नलखेड़ा पहुंच सकते हैं, इसी प्रकार इंदौर से भी आप बस या टैक्सी से मंदिर तक आ सकते हैं, सड़क मार्ग से आप भोपाल, इंदौर या उज्जैन कहीं से भी नलखेड़ा पहुंच सकते हैं। नलखेड़ा इंदौर से १५६, भोपाल से १८२ और कोटा राजस्थान से १९१ व उज्जैन से ९८ किलोमीटर पड़ता है।