नकदी ने खड़ा किया बोवनी पर संकट
सिर पर बोवनी का समय और पैसों के लिए बैंक के चक्कर काट रहे किसान

सुसनेर. खरीफ बोवनी की तैयारियां किसानों ने शुरू कर दी हैं। खेतों की जुताई शुरू कर मेढ़ बनाना शुरू कर दिया है। इधर बोवनी का समय सिर पर है, लेकिन किसान के पास पैसे नहीं हैं। कारण उसके द्वारा समर्थन मूल्य पर बेची गई उपज का पैसा अभी भी नहीं मिलना। ऐसे में उन्हे यह चिंता सता रही है कि वे समय पर बोवनी कर भी पाएंगे या नहीं।
किसान इन दिनों बेची गई उपज की राशि पाने के लिए बैंकों के चक्कर लगा रहा है। बैंकों में कैश न मिलने से किसानों को नाममात्र की राशि देकर लौटाया जा रहा है। दूसरी ओर कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने फसल बेच दी है किंतु खातों में पैसे नहीं आए हैं। कुछ किसान ऐसे हैं जो उपज बेचने के लिए एसएमएस का इंतजार कर रहे हैं। मानसून नजदीक है। एक या दो बार जोरदार बारिश होने के बाद ही किसानों को बोवनी करना है। पुराना कर्ज चुकाने पर नई फसल की बोवनी के लिए किसानों को पैसों की जरूरत है। आगर जिले में तेंदुपत्ता ग्राहक व श्रमिकों के कार्यक्रम में आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने किसानों से कहा था कि सभी के खातों में जल्द ही पैसे डाले जाएंगे। किंतु अधिकांश किसान ऐसे हैं जिनके खातों में अभी तक राशि नहीं आई। कुछ दिनों पूर्व डिप्टी कलेक्टर नितिन राजावत ने भी कृषि उपज मंडी का दौरा किया था तब भी कुछ किसानों ने खातों में पैसे जमा नहीं होने की परेशानी बताई थी।
2500 से 3000 किसानों के बकाया
नेशनल एग्रीकल्चरल एंड कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन उपज तो खरीद रहा है किंतु भुगतान में देरी हो रही है। 2500 से 3000 किसानों के 10 करोड़ से भी अधिक की राशि का भुगतान अभी बकाया है। खरीदी के बाद परिवहन के जरिए उपज गोदामों में पहुंचती है। नेफेड के अधिकारी निरीक्षण करके रिपोर्ट देते हैं। इसके बाद ही किसानों के खातों में भुगतान जमा हो पाता है। इस वजह से किसानो को राशि मिलने में देरी हो रही है।
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