एक ओर जहां शहर में पतंगबाजी का के्रज बच्चों के सिर पर सवार है, वहीं दूसरी ओर शहर में धडल्ले से बिक रही चायना डोर किसी दिन हादसे का सबब बन सकती है।
आगर-मालवा. एक ओर जहां शहर में पतंगबाजी का के्रज बच्चों के सिर पर सवार है, वहीं दूसरी ओर शहर में धडल्ले से बिक रही चायना डोर किसी दिन हादसे का सबब बन सकती है। प्रशासन द्वारा चायना डोर की ब्रिकी पर प्रतिबंध तो लगा दिया गया लेकिन धरातल पर कसावट न होने से यह डोर बाजार में आज भी बिक रही है।
नुकसान का आभास नहीं
पतंगबाजी का अधिक लुत्प उठाने के लिहाज से बच्चों द्वारा यह डोर तो खरीद ली जाती है, लेकिन इससे होने वाले नुकसान का उनको जरा भी आभास नहीं है। यदि जिम्मेदारों द्वारा इस ओर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो शहर में चायना डोर से किसी दिन भी कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता है।
बिक्री पर ही प्रतिबंध लगाने की मांग
इस संबंध में गत् दिनों सामाजिक संस्था साईंग परिवार द्वारा ज्ञापन सौंपकर चायना डोर की बिक्री पर ही प्रतिबंध लगाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन शहर में चायना डोर की बिक्री जारी है। प्रतिबंध होने के बावजूद भी धडल्ले से बिक रही चायना डोर खुलेआम हादसों का आमंत्रित करते दिखाई दे रहे है। इस संबंध में सामाजिक संगठनों ने समय से पहले ही कार्रवाई कर इस डोर पर रोक लगाने की मांग भी की है।
सांई परिवार ने सौंपा आवेदन
चायना डोर के विक्रय पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर सांई परिवार ने गत् दिनों कलेक्टर के नाम एक आवेदन भी दिया। सांई परिवार के सदस्यों ने आवेदन में बताया कि मानव ही नही अपितु मुकबधिर पशु-पक्षीयो के लिए भी हानिकारक चायना डौर जिसकी बिक्री को वर्ष 2013-14 में प्रशासन ने प्रतिबंधित किया था लेकिन प्रशासन के प्रतिबंधात्मक आदेश के बावजुद चायना डोर का विक्रय बाजार मे बदस्तुर आज भी जारी है जिससे आये दिन दुर्घटनाए होती रहती हैं।
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई
चायना डोर के विक्रय पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के आशय से सक्रांति पर्व के पूर्व जिले मे चायना डोर के विक्रय को रोकने के संबंध में संबंधीत विभाग को आदेशीत करने की मांग की गई थी। प्रशासन की उदासीनता के चलते अनेक अबोध पशु-पक्षियो को असमय काल का ग्रास बनना पड़ा। गत् वर्ष गोपाल मंदिर स्थित पिपल के वृक्ष पर चायना डोर मे उलझने से पक्षियो की दुर्लभ प्रजाती के पक्षी उल्लु की आकस्मिक मौत इसका एक उदाहरण मात्र है। अविलंब चायना डोर के बाजार मे विक्रय को रोकने के संबंध मे संबंधित विभाग को आदेश दिया जाए।