विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने यही फार्मूला अपनाया था उसने भाजपा—बसपा नेताओं को पार्टी में शामिल करने से पहले स्थानीय कांग्रेस नेताओं से चर्चा कर उनकी सहमति लेने के बाद ही कांग्रेस ज्वाईन करवाई थी। जहां कांग्रेस के स्थानीय नेता तैयार नहीं हुए वहां कांग्रेस ने भाजपा नेताओं को पार्टी में शामिल नहीं किया।
इसका बड़ा उदाहरण ग्वालियर दक्षिण से समीक्षा गुप्ता हैंं। उन्होंने भाजपा से विधानसभा टिकट न मिलने पर बगावत की थी। इस संबंध में समीक्षा ने कांग्रेस के बड़े नेताओं से संपर्क भी किया था, लेकिन स्थानीय नेताओं के विरोध के चलते वे कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाई। इसके बाद समीक्षा ने ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
समीक्षा के मैदान में आने पर भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह हार गए थे। वहां से कांग्रेस के युवा प्रत्याशी प्रवीण पाठक चुनाव जीते। अब कांग्रेस इसी फार्मूले को लागू कर लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हथियाने में लगी हुई है। इसके लिए अभी से चौसर जमाना शुरु कर दी गई है। बताया जा रहा है कि अप्रैल में कांग्रेस तोड़—फोड़ की शुरुआत कर देगी। हालांकि इधर भाजपा भी कुछ इसी तर्ज पर कांग्रेस में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है।