5 से अधिक स्कूली बच्चे सवार न किए जाए
जिला परिवहन अधिकारी ने गत् दिनों सभी ऑटो संचालकों को नियमों का हवाला देते हुए निर्देशित किया था कि किसी भी ऑटो में 5 से अधिक स्कूली बच्चे सवार न किए जाए। निर्देशों की अवहेलना करने पर जुर्माना आरोपित किया जाएगा। डीटीओ के इस आदेश से ऑटो संचालकों में खासी खलबली मच गई। संचालको ने स्कूली बच्चों को लाने-लेजाने के कार्य को पूर्णत: रोक दिया। २४ जून को स्कूल आरंभ हुए और पहले दिन से ही बच्चों को स्कूल लाने-लेजाने के लिए अभिभावको को परेशान होते हुए देखा गया। स्कूल समय पर स्कूलों के बाहर अभिभावक बच्चों का इंतजार करते हुए नजर आए। कुछ अभिभावकों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि व्यस्त दिनचर्या के बीच बच्चों को लाना और लेजाने में काफी असुविधा हो रही है। इस समस्या का कोई समुचित हल निकलना चाहिए।
शहर में नहीं चल सकती स्कूल बस
शहर के बाजार की सकरी गलियों में सिर्फ ऑटो ही चल सकती है। शहर के आंतरिक हिस्से में बड़े वाहन, स्कूली बस तो दूर मैजिक वाहन भी निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसी दशा में सिर्फ ऑटो ही एक मात्र सहारा रहती है। स्कूली बच्चों को लाने-लेजाने के लिए ऑटो वाले शहर की हर गली में घूम जाते हैं।
प्रत्येक बच्चे से लेते हैं 300 से 400 रुपए
ऑटो वाले प्रतिमाह 300 से 400 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से स्कूल लाने-लेजाने के लिए रूपए लेते हैं। यदि महज 5 बच्चों को लाए-लेजाए तो पेट्रोल खर्च भी नहीं निकल सकता। इसलिए ऑटो वालों ने अपनी समस्या को देखते हुए इस काम को ही रोक दिया।
मैजिक वाले कर रहे हैं नियमों की अनदेखी
ऑटो संचालकों ने तो नियमों के चलते अपने वाहनों को स्कूली बच्चो को लाने-लेजाने से ही रोक लिया है। लेकिन मैजिक वाहन में क्षमता से अधिक बच्चो ंको लाते-लेजाते हुए देखा जा रहा है। कुछ मैजिक वाहन चालक तो बच्चों के बैग भी उतारकर नहीं देते हैं। बच्चों को ही वाहन की छत पर चढ़ा देते हैं। ऐसी दशा में कभी भी कोई गंभीर हादसा घटित हो सकता है। इस ओर भी जवाबदारों को ध्यान देना चाहिए।
ऑटो संचालकों ने बताई अपनी पीड़ा
– वर्षों से हम लोग स्कूली बच्चों को लाने-लेजाने का कार्य करते हैं। आजीविका स्कूली बच्चों पर ही निर्भर हैं। हमे रियायत मिलना चाहिए।
सुनिल माली, ऑटो संचालक
– शहर में औटो वालों को सवारियां नहीं मिलती है। इसलिए स्कूली बच्चों के माध्यम से ही आजीविका चलती हैञ हमारी आजीविका बंद न की जाए।
अशोक माली, ऑटो संचालक
– न्यूनतम राशि लेकर हम लोग घर-घर से बच्चों को स्कूल तक पहुंचाते है। ५ बच्चों को लाने-लेजाने में हमारा पेट्रोल खर्च भी नहीं निकलेगा।
लोकेश माली, ऑटो संचालक
– स्कूली बच्चों को सुरक्षित हम लोग स्कूल ले जाते हैं। वापस घर छोड़ते हैं। अभिभावकों को कोई शिकायत नहीं है । हमारी इस समस्या को समझें।
महेश भाटी, ऑटो संचालक
जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक मे कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देश पर सभी ऑटो एवं मैजिक वाहन चालकों की बैठक लेकर उन्हें नियमां की जानकारी दी गई ा है। आटो में 12 वर्ष से कम उम्र के 5 बच्चें एवं 12 वर्ष से अधिक के 3 बच्चें ही बिठाए जाए। नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई की जाएगी।
– एपी श्रीवास्तव, डीटीओ आगर