scriptपानी ने निकाला पसीना : खाली डब्बे, बर्तन, मटका तक उठा लाई, ताकि आज की पूर्ति हो सके | For this village's rural water it is hard to break | Patrika News

पानी ने निकाला पसीना : खाली डब्बे, बर्तन, मटका तक उठा लाई, ताकि आज की पूर्ति हो सके

locationअगार मालवाPublished: Apr 25, 2019 11:29:11 am

Submitted by:

Ashish Sikarwar

जिस गांव में प्रवेश करते ही हराभरा वातावरण दिखाई देता था अब चहुंओर सूखे के कारण कोहराम मचा है। जिला मुख्यालय से महज ४ किमी दूर स्थित परसुखेड़ी में जलसंकट की शुरुआत हो चुकी है।

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जिस गांव में प्रवेश करते ही हराभरा वातावरण दिखाई देता था अब चहुंओर सूखे के कारण कोहराम मचा है। जिला मुख्यालय से महज ४ किमी दूर स्थित परसुखेड़ी में जलसंकट की शुरुआत हो चुकी है।

आगर-मालवा. जिस गांव में प्रवेश करते ही हराभरा वातावरण दिखाई देता था अब उसी गांव मे चहुंओर सूखे के कारण कोहराम मचा है। जिला मुख्यालय से महज ४ किमी दूर स्थित परसुखेड़ी में जलसंकट की शुरुआत हो चुकी है। शुरुआती दौर में ही जलसंकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। गांव में स्थित सभी जलस्रोत दम तोड़ चुके हैं। नलजल योजना का क्रियान्वयन समुचित रूप से न होने के कारण इसका लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिल रहा। हालात ये हैं कि पानी की किल्लत के कारण महिलाओं में विवाद होने लगे हैं।
करीब १५०० की आबादी वाले परसुखेड़ी का जलस्तर परसुखेड़ी तालाब पर निर्भर रहता है। इससे गांव का जलस्तर तो बड़ा हुआ रहता है साथ ही सिंचाई भी होती है लेकिन इस वर्ष तालाब समय से पहले ही सूखने की कगार पर आ पहुंचा। इसका असर परसुखेड़ी में दिखाई देने लगा है। गांव में ८ हैंडपंप हैं और सभी बंद हैं। गांव में पानी की समस्या को देखते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने नलजल योजना के अंतर्गत पेयजल व्यवस्था सुचारु रखने के लिए गांव में एक पानी की टंकी बनाई है और घर-घर नल कनेक्शन भी दिए। गांव में १०० नल कनेक्शन हैं। योजना का क्रियान्वयन ग्राम पंचायत के माध्यम से किया जाता है। गर्मी की शुरुआत होते ही योजना भी लडख़ड़ाती हुई दिखाई दे रही है। पर्याप्त पानी नहीं होने के कारण आधे समय ग्रामीणों को योजना का लाभ नहीं मिलता है। २० दिन से टंकी से पानी का वितरण नहीं हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत द्वारा लेतलाली की जाती है।
पानी की किल्लत बनी महिलाओं में विवाद का कारण
गांव में एक निजी ट्यूबवेल ही साथ दे रहा है और पुरी आबादी इसी पर निर्भर है। महिलाएं यहां सुबह से ही खाली डिब्बे लाकर कतार में लग जाती है और जैसे ही ट्यूबवेल चालू किया जाता है तो वहां स्थिति विवादित हो जाती है। आए दिन पानी की किल्लत के कारण महिलाओं में विवाद होते हैं और वे झूमाझटकी पर उतारू हो जाती हैं।
टैंकरों से भी लाते हैं पानी
गांव में पानी नहीं होने के कारण आसपास के गांवों से टैंकर भरकर पानी परसुखेड़ी तक लाया जा रहा है। मवेशियों को पानी पिलाने के लिए करीब ३ किमी दूर आगर-सारंगपुर मार्ग पर स्थित एक कुएं पर किसान लेकर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि इंसानों को ही पानी नहीं मिल रहा, मवेशियों को पानी पिलाना बहुत मुश्किल हो चुका है।
स्वयं के व्यय से कर रहे जल वितरण
पानी की भारी किल्लत के बीच गांव के ही निवासी बद्रीलाल यादव स्वयं के व्यय से ग्रामीणों की मदद कर रहे हैं। गांव में जहां एक भी जलस्रोत फिलहाल चालू नही है वहीं बद्रीलाल के खेत पर लगे ट्यूबवेल में भरपूर पानी है। बद्रीलाल ने गांव की समस्या को देखते हुए करीब ३ किमी तक की पाइप लाइन बिछाकर ट्यूबवेल से पानी गांव तक पहुंचाया है। बिजली खर्च से लेकर जो भी खर्च पानी पहुंचाने में होता है वह बद्रीलाल ही वहन कर रहे हैं।
गांव में ८ हैंडपंप हैं। सभी बंद हो चुके हैं। जलस्तर काफी नीचे जा चुका है। दूर-दूर तक पानी नहीं मिल रहा। विपरीत हालात में भी तीसरे-चौथे दिन नल दिए जा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व मोटर पंप खराब हो जाने से जल वितरण व्यवस्था बिगड़ गई है। व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है। जरूरत पडऩे पर परिवहन भी होगा।
रमेशचंद मालवीय, सरपंच ग्राम पंचायत परसुखेड़ी

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