आगर:- लालमाटी के मुद्दों की कसौटी पर परख रहे प्रत्याशी
राजस्थान से पहले मध्यप्रदेश की छोर के आखिरी जिले आगर-मालवा की विधानसभा आगर की लाल जमीन पर गुलाबी ठंड की दस्तक के बीच वोटों की फसल काटना राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं दिख रहा। 45 किमी से ज्यादा लंबे चुनावी रण की राह ही बेदम पड़ी है। उज्जैन-झालावाड़ हाइवे पर वाहन चलते नहीं बल्कि डोलते हुए निकलते हैं और यह हाइवे इस विधानसभा की सबसे अहम जरूरत है। 1977 के बाद से तो विधानसभा में लोगों ने ट्रेन की छुक-छुक भी नहीं सुनी है, रेलवे स्टेशन का खंडहर आज भी मौजूद है तो टिकट खिडक़ी के अवशेष सफर के इतिहास की दास्तां बयां कर रहे हैं।
राजस्थान से पहले मध्यप्रदेश की छोर के आखिरी जिले आगर-मालवा की विधानसभा आगर की लाल जमीन पर गुलाबी ठंड की दस्तक के बीच वोटों की फसल काटना राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं दिख रहा। 45 किमी से ज्यादा लंबे चुनावी रण की राह ही बेदम पड़ी है। उज्जैन-झालावाड़ हाइवे पर वाहन चलते नहीं बल्कि डोलते हुए निकलते हैं और यह हाइवे इस विधानसभा की सबसे अहम जरूरत है। 1977 के बाद से तो विधानसभा में लोगों ने ट्रेन की छुक-छुक भी नहीं सुनी है, रेलवे स्टेशन का खंडहर आज भी मौजूद है तो टिकट खिडक़ी के अवशेष सफर के इतिहास की दास्तां बयां कर रहे हैं।
दो लाख से ज्यादा वोटों की क्षमता के साथ मतदाता इस चुनाव में प्रत्याशियों को मुद्दों की कसौटी पर तपा रहे हैं। आगर कस्बा के साथ ही कानड़, बड़ौद जैसे ग्रामीण इलाकों में अलग अलग फैक्टर काम कर रहे हैं। पढ़े-लिखे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर नहीं बनने से शिक्षित समाज में नाराजगी दिखती है तो कृषि उत्पादों का वाजिब दाम नहीं मिलना किसानों का धैर्य परख रहा है।
उद्योग शब्द सुनते ही विधानसभा के मतदाता भडक़ उठते हैं, साफ कहते है हमें मिला ही क्या है, जिला बनने के बाद जो उम्मीद जागी थी, वो इतने सालों में धूमिल हो गई है। उद्योग स्थापित होने का सपना पालते-पालते कई चुनाव देख लिए हैं, लेकिन हुआ कुछ नहीं। आगर के व्यापारी नरेन्द्र गुप्ता त्योहारी तैयारी में जुटे तो हैं लेकिन कारोबार कैसा होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल बताते है। कहते हैं कोरोना की आर्थिक मार चुनाव पर असर डालेगी, व्यापारी वर्ग तो इसका बोझ उठा ही नहीं पा रहा, उपचुनाव के शोर में हमारी आवाज आश्वासन पर धीमी पड़ी है लेकिन थमी नहीं है।
बड़ौद के किसान गोविंदसिंह कृषि सीजन से आस लगाए हैं, चुनाव में क्या मुद्दें हावी है के सवाल पर जवाब से पहले सवाल करते हैं, पूछते है कि कौन सा मुद्दा नहीं है, यहां तो खेती-किसानी से लेकर रोजगार, सडक़, बिजली, पानी सब मुद्दें है, लेकिन नेता ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, जब अच्छी पैदावार हुई तो दाम कम थे, अब फसल बेच दी है तो अचानक इनके दाम बढ़ाकर किसका भला किया।
प्रत्याशी, दल और हालात पर मतदाता तोड़ेगे खामोशी
आगर सीट पर 8 प्रत्याशियों के बीच चुनावी रण है। आधा दर्जन जाति से जुड़े मतदाताओं ने किसी एक फैक्टर के साथ नहीं जाने की राह चुनी है। अजा वर्ग के साथ ही मुस्लिम, यादव, सौंधिया राजपूत, जैन, अग्रवाल, ब्राह्मण व गवली समाज क्षत्रपों में बंटा है, ये दोनों ही प्रमुख दलों के मतदाताओं में शामिल है।
आगर सीट पर 8 प्रत्याशियों के बीच चुनावी रण है। आधा दर्जन जाति से जुड़े मतदाताओं ने किसी एक फैक्टर के साथ नहीं जाने की राह चुनी है। अजा वर्ग के साथ ही मुस्लिम, यादव, सौंधिया राजपूत, जैन, अग्रवाल, ब्राह्मण व गवली समाज क्षत्रपों में बंटा है, ये दोनों ही प्रमुख दलों के मतदाताओं में शामिल है।
भाजपा के लिए इतिहास का प्रदर्शन उम्मीद है तो कांग्रेस युवाओं की टीम के भरोसे अपनी चुनावी रणनीति को मूर्तरूप दे रही है। यहां से एक पूर्व कांग्रेसी भी निर्दलीय मैदान में है, लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकार ज्यादा महत्व नहीं दे रहे। बसपा की मौजूदगी का प्रभाव प्रचार में नहीं दिख रहा तो कुछ निर्दलीय सिर्फ वोट काटने के तौर पर देखे जा रहे हैं। बहरहाल, मतदाता प्रचार के दावों के बीच अपनी खामोशी नहीं तोड़ रहा।
प्रचार के मैदान में कर्ज माफी फॉर्म से लेकर बड़ी सभाएं
कांग्रेस ने बीते विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी विपिन वानखेड़े को ही उतारा है। भाजपा ने यहां विधायक रहे स्व. मनोहर ऊंटवाल के पुत्र मनोज ऊंटवाल को मौका दिया है। कर्जामाफी पर कांग्रेस की एक विंग किसानों के फॉर्म ले रही है तो भाजपा ने टीम को 5-5 बूथ के समूहों में बांट रखा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 3 सभाएं कर चुके हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बड़ी सभा में आए। दिग्विज सिंह ने भी एक सभा की है, लेकिन पूर्व सीएम कमलनाथ उपचुनाव कार्यक्रम के बाद सभा करने नहीं आए, कांग्रेस ने सचिन पायलट को भी भेजा है।
कांग्रेस ने बीते विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी विपिन वानखेड़े को ही उतारा है। भाजपा ने यहां विधायक रहे स्व. मनोहर ऊंटवाल के पुत्र मनोज ऊंटवाल को मौका दिया है। कर्जामाफी पर कांग्रेस की एक विंग किसानों के फॉर्म ले रही है तो भाजपा ने टीम को 5-5 बूथ के समूहों में बांट रखा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 3 सभाएं कर चुके हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बड़ी सभा में आए। दिग्विज सिंह ने भी एक सभा की है, लेकिन पूर्व सीएम कमलनाथ उपचुनाव कार्यक्रम के बाद सभा करने नहीं आए, कांग्रेस ने सचिन पायलट को भी भेजा है।
वर्ष 2018 का चुनाव
भाजपा: 83146
कांग्रेस: 79656
भाजपा: 83146
कांग्रेस: 79656