हर कक्ष का किया मुआयना
अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के अमले ने अस्पताल के हर कक्ष का मुआयना किया और अस्पताल संचालन संबंधी सामग्री नहीं पाए जाने पर सीलबंद करने की कार्रवाई की। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन से जुड़े हुए संबंधित लोगों ने एक या दो कक्ष सील करने का अनुरोध किया, लेकिन निरीक्षण दल ने यहां भी संचालन से जुड़े पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पूरे अस्पताल को ही सील करना मुनासिब समझा। काफी देर तक निरीक्षण दल एवं संबंधितों के बीच चर्चाएं चलती रहीं। इस दौरान सीएमएचओ मौजूद नहीं थे तो निरीक्षण दल में शामिल डॉक्टरों ने सीएमएचओ को सूचना देकर बुलाया। सीएमएचओ ने मौके पर पहुंचने के बाद थाना प्रभारी को फोन कर अस्पताल बुलाया उसके बाद अस्पताल सील करने की प्रक्रिया आगे बढ़ी। पूरी कार्रवाई थाना प्रभारी एवं पुलिसबल की मौजूदगी में की गई। अस्पताल के जिन कक्षों में सामग्री रखी थी, उन्हें भी सील किया गया। साथ ही मुख्य प्रवेश द्वार पर भी ताला लगाकर सील कर दिया गया।
कलेक्टर के निर्देश पर मिला पीडि़ता को न्याय
अक्टूबर २०१८ में शिकायत मिलने के बाद से ही कलेक्टर अजय गुप्ता इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए थे और पीडि़ता को हर तरह से न्याय दिलाने के लिए स्वास्थ्य अमले को निर्देशित किया था। कलेक्टर के सख्त निर्देश पर ही तत्काल जांच दल बनाया गया था। सीएस डॉ. जेसी परमार की निगरानी में ४ डॉक्टरों के जांच दल ने जांच कर प्रतिवेदन सीएस के समक्ष प्रस्तुत किया था। सीएस ने जांच दल के प्रतिवेदन को अपने अभिमत के साथ सीएमएचओ बीएस बारिया के समक्ष प्रस्तुत किया था। जांच प्रक्रिया पूर्ण होने पर प्रतिवेदन सहित प्रकरण कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जिस पर कलेक्टर ने दोषियों के विरूद्ध तत्काल आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने तथा अस्पताल संचालन बंद कराए जाने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर के निर्देश के बाद यह कार्रवाई आगे बढ़ी और पीडि़ता को न्याय मिला। पीडि़ता का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों सहित अस्पताल संचालक के विरुद्ध धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। साथ ही मप्र नर्सिंग होम एक्ट अधिनियम के तहत भी प्रकरण दर्ज हुआ।
ऑपरेशन के बाद से निरंतर है पीडि़ता को परेशानी
जब इस संबंध में प्रेमबाई पति मोहनलाल भाट एवं उनके परिजनों से चर्चा की गई तो उन्होंने कलेक्टर सहित कार्रवाई करने वाले सभी अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए पत्रिका को भी धन्यवाद दिया है। पीडि़ता ने बताया कि जबसे उनका ऑपरेशन किया गया है, तब से उनका पेट दर्द बंद नहीं हो रहा है। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वो वापस ऑपरेशन भी नहीं करा पा रही है। भारत आयुष्मान योजना के अंतर्गत पंजीयन कराया है, अब डॉक्टरों से परामर्श कर इंदौर ऑपरेशन कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पथरी से पीडि़त प्रेमबाई ओबीसीटी में ऑपरेशन कराने पहुंची थी, जहां ऑपरेशन शुल्क भी लिया गया और ऑपरेशन भी किया गया, लेकिन पथरी नहीं निकाली गई। जब पेट दर्द बंद नहीं हुआ तो उज्जैन के एक अस्पताल में उपचार कराने पहुंची, तो पता चला कि जिस जगह ऑपरेशन किया गया है, उस स्थान पर पथरी रहती ही नहीं है। तो फिर आगर में ऑपरेशन किस बीमारी का किया गया, यह आज तक न तो पीडि़ता को समझ में आया है और न ही जांच कर रहे डॉक्टरों को।