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गुरुवाणी का पाठ सुन थामा एक-दूसरे का हाथ, न ही कोई साज सजावट

locationअगार मालवाPublished: Jan 13, 2018 11:31:56 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

एक ओर जहां लोग शादियों में हर तरह की साज सजावट और मेहमाननवाजी पर लाखों खर्च कर देते हैं, वहीं कुछ शादियां ऐसी होती हंै जो समाज के लिए मिसाल बन जाती है

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एक ओर जहां लोग शादियों में हर तरह की साज सजावट और मेहमाननवाजी पर लाखों खर्च कर देते हैं, वहीं कुछ शादियां ऐसी होती हंै जो समाज के लिए मिसाल बन जाती है

आगर-मालवा. एक ओर जहां लोग शादियों में हर तरह की साज सजावट और मेहमाननवाजी पर लाखों खर्च कर देते हैं, वहीं कुछ शादियां ऐसी होती हंै जो समाज के लिए मिसाल बन जाती है। कुछ इसी प्रकार का नजारा शनिवार को गांधी उपवन में आयोजित हुए वैवाहिक आयोजन में दिखाई दिया। इस शादी में न तो दूल्हा-दुल्हन ने शृंगार किया और न ही बैंड बाजे की धुन सुनाई दी। बगैर पंडित के हुई इस शादी में बिना फेरो के वर-वधु सैकड़ों समाजजनों की मौजूदगी में महज 17 मिनिट में परिणय सूत्र में बंध गए।
यह सब एक सत्संग कार्यक्रम के दौरान हुआ। आगर में आयोजित हुए संत रामपाल के सत्संग कार्यक्रम में दौडख़ेड़ी निवासी कैलाशदास की शादी भगतमती सोनमदासी चौहान निवासी रावत इंदौर के साथ सम्पन्न हुई। इस शादी में किसी भी तरह का फिजूल खर्च नही किया गया और गुरुवाणी का पाठ सुनाकर वर-वधु को जीवन भर साथ रहने की शपथ दिलाई गई। इस वैवाहिक आयोजन के माध्ययम से फिजूल खर्च रोकने की अपील भी की गई। तमाम परम्परागत रीतिरिवाजों को भी दरकिनार कर एक नई पहल की शुरुवात की गई। न पंडित का खर्चा न ही रसोई और न ही दुल्हन के लिए कोई जेवरात आभूषण खरीदे गए। दुल्हा-दुल्हन सादे लिबास में ही परिणय सुत्र में बंधे। बेतुल आश्रम के केयरटेकर विष्णुदास साहु ने बताया कि उनकी संस्था द्वारा पुरे देश में इसी प्रकार विवाह कराए जा रहे है और समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाओं को जड़ से समाप्त करने का अभियान चलाया जा रहा है।
आगर-मालवा. अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है ।अपराधी से नही ंबल्कि अपराध से घृणा होना चाहिए। आवेश में आपने कोई ऐसा काम कर दिया जो कानून की नजर में अपराध है। इसकी सजा के लिए तुम अपना जीवन समाज से कटकर बंदी के रूप में जी रहे हो। अभी भी समय है कि आत्मसुधार के लिए अतीत को भुलकर वर्तमान का सदुपयोग करले भविष्य और जीवन पुन: सुधर जाएगा।
यह विचार गायत्री परिवार प्रांतीय प्रतिनिधि महेंद्र भावसार ने जिला जेल में बंदियो के बिच पहुंचकर गायत्री मंत्र लेखन अभियान कार्यक्रम की महत्ता बताते हुए कही। देशभर की जेलों में बंदियों के बीच जाकर गायत्री मंत्र लेखन से बुद्धि और विचार परिवर्तन अभियान की प्रांतीय प्रभारी विनीता प्रशांत खंडेलवाल ने बंदियो को मंत्र लेखन से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के संदर्भ में जानकारी दी। जिला युवा प्रकोष्ट प्रभारी रजनीश स्वर्णकार ने गायत्री मंत्र लेखन के आध्यात्म और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के स्वरूप को समझाया। खंडेलवाल ने 210 गायत्री मंत्र लेखन की पुस्तक, कलम एवं स्वाध्याय के लिए अखंड ज्योति पत्रिका बंदियो व जेल कर्मचारियों को नि:शुल्क वितरण की। इस अवसर पर जेल उप अधीक्षक महेश कटियार, मनीष भावसार एवं गोरधनसिंह आंजना भी उपस्थित थे।

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