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पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी बोले, यहां तो घना जंगल उजाड़ रहा माफिया

locationअगार मालवाPublished: Mar 19, 2019 01:15:54 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दल ने किया केरवा में अवैध कटाई स्थल का निरीक्षण

kerva forest

पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी बोले, यहां तो घना जंगल उजाड़ रहा माफिया

भोपाल. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के दल ने सोमवार को केरवा में मेंडोरा के पास बाघ भ्रमण इलाके में बड़े पैमाने पर की गई अवैध कटाई की जांच की। घने वन के बीच निजी भूमि के कई बोर्ड देखकर अधिकारी चौंक गए। मौके पर जंगल के बीच सप्ताह भर तक कटाई होने के बावजूद वन विभाग को इसकी जानकारी नहीं होने को हैरत भरा बताते हुए एडीजी ने वन विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई, इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय रिपोर्ट बनाकर भेजेगा।
आधे घंटे गेट पर इंतजार

पर्यावरण मंत्रालय के पश्चिम क्षेत्र कार्यालय के एडीजी तेजेंदर सिंह अधिकारियों एवं मामले का खुलासा करने वाले एक्टिविस्ट राशिद नूर खान के साथ मेंडोरा पहुंचे। दल केरवा सर्विलांस सेंटर पहुंचा तो नाके पर ताला लगा पाया। टीम ने वन विभाग के अधिकारियों को फोन किया लेकिन ताला नहीं खुला, आखिरकार उच्चाधिकारियों को शिकायत करने के बाद ताला खोला गया और टीम को वन क्षेत्र में प्रवेश मिल सका। टीम ज्यों ही कटाई वाले हिस्से में पहुंची मौका देखते ही अधिकारियों के मुंह से निकला, यह तो चार से पांच स्तर के घनत्व वाला वन है, यहां कटाई कैसे हो सकती है, वन विभाग और राजस्व के होते कटाई कैसे हुई और बाद में क्या कार्रवाई हुई इसकी पड़ताल कराई जाएगी।
वन क्षेत्र के बीच राजस्व भूमिस्वामियों को करेंगे पाबंद
क्षेत्रीय अधिकारी ने घने वन क्षेत्र के बीच कई जगहों पर निजी भूमि के बोर्ड देखे तो सभी भूमियों की फोटोग्राफी कराई। क्षेत्रीय अधिकारी ने निर्देश दिए कि घने पेड़ों को घेरकर राजस्व भूमि दर्शाने वाले ऐसे भूस्वामियों को पाबंद करें कि इन पर पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बिना किसी तरह की गतिविधियां न करें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जमीन चाहे किसी की भी हो यदि खसरे पर किसी भी तरह के जंगल शब्द का उल्लेख है उसे वन माना जाएगा, यहां तक कि किसी जगह में बड़े इलाके में पेड़ों का घनत्व देखकर ही वन होना लगे तो भी वह जगह वन मानी जाएगी, इस जगह को देखकर मैं साफ कह सकता हूं कि यह वन ही है जहां अवैध तरीके से कटाई की गई है, इस पर रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी।
तेंजेदर सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
फिर नहीं आए राजस्व अधिकारी, पर्यावरण अधिकारियों ने अकेले किया वन क्षेत्र में निर्माण का निरीक्षण

भोपाल. केरवा से कलियासोत के बीच जंगल में प्रतिबंध के बावजूद चल रहे निर्माणों की जांच के लिए एनजीटी के संयुक्त निरीक्षण किए जाने के आदेश के बावजूद राजस्व अधिकारी लगातार दूसरी बार नदारद रहे। संयुक्त निरीक्षण के लिए तय तारीख सोमवार को याचिकाकर्ता राशिद नूर खान, पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी पहुंच गए लेकिन राजस्व अधिकारी नहीं आए। अधिकारियों की अनुपस्थिति में पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी याचिकाकर्ता के साथ खुद केरवा क्षेत्र पहुंच गए और निरीक्षण किया। पर्यावरण मंत्रालय का दल कोलार में कलियासोत नदी पर बने नए पुल के पास दामखेड़ा पहुंचे और पहाड़ों को काटकर किए जा रहे निर्माण को देखा। यहां विभिन्न पक्षों से बातचीत के साथ मौके की फोटोग्राफी कराई गई। इसके बाद टीम उल्लेखित एक अन्य खसरे नम्बर की जांच करने कलियासोत नदी के किनारे पहुंचे।
यह है मामला
केरवा में वन क्षेत्र में अवैध निर्माण पर एनजीटी सेंट्रल जोनल बेंच में सुनवाई चल रही है। पांच मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से राशिद नूर खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने फोटो सहित सबूत पेश करते हुए बताया था कि दामखेड़ा में लगातार निर्माण चल रहा है। इस पर ट्रिब्यूनल ने स्टे ऑर्डर के बावजूद निर्माण पर आपत्ति जताते हुए इसकी जांच के लिए 18 मार्च को संयुक्त निरीक्षण के निर्देश दिए थे।
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