नलखेड़ा से 14 दिसंबर से प्रारंभ हुए इस छ:रि पालित संघ की प्रेरणा वहां पर चातुर्मास के लिए विराजित परम साध्वी शीलरेखा आदि द्वारा की गई। इस यात्री संघ में गणिवर्य प्रसन्नचंद्रसागर तीन व अष्टापद तीर्थ की प्रणेता साध्वी जिनशिशुप्रज्ञा पांच द्वारा अपनी निश्रा प्रदान की जा रही है। इस यात्री संघ में 300 सात्री शामिल होकर पैदल ही नागेश्वर पहुचेंगे। छावनी नाके से बैंडबाजे, ढोल ढमाकों व शहनाई की गूंज के साथ सभी 17 संघपतियों व गुरुभगवंतों तथा संघयांत्रियों की अगवानी श्री जैन श्वेतांबर श्रीसंघ द्वारा की गई तथा शोभायात्रा नगर में निकाली गई। इसमें परमात्मा को सुसज्जित रथ में विराजित किया गया।
गहुली कर अगवानी की गई
समाजजनो द्वारा परमात्मा के समक्ष गहुली कर अगवानी की गई। प्रमुख मार्गों से होती हुई शोभायात्रा जैन मंदिर पर पहुंची जहां संघयात्रियों व मुनिगणों द्वारा परमात्मा के समक्ष चैत्यवंदन, दर्शनविधि कर अष्ट प्रकारी पूजन सामग्री चढ़ाई गई। वासुपूज्य जैन मंदिर में भी धार्मिक विधि संपन्न की गई। इसके बाद यात्रीसंघ मालीखेड़ी रोड़ स्थित बालक छात्रावास पहुचां जहां पर गुरूभगवंतो के प्रवचन व अन्यधार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। यात्रीसंघ का विश्राम रविवार को नगर में होगा तथा सोमवार सुबह पैदल यात्रीसंघ बड़ोद रोड स्थित बुद्धि सागर कॉलेज पहुंचेगा।
संघपतियों का किया बहुमान
नगर पहुचने पर छ:रि पालित यात्रीसंघ का जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक श्रीसंघ अध्यक्ष सुरेंद्रकुमार मारू व सदस्यों द्वारा सभी 17 संघपतियों का शाल, श्रीफल, चांदी के सिक्के के साथ माला पहना कर बहुमान किया गया। श्रीसंघ द्वारा मुनिगण व साध्वी मंडल को भी कामली भेंट की गई। कार्यक्रम के दौरान सभी पैदल यात्रीसंघ के श्रावक-श्राविकाओं का बहुमान सुमनबेन वीरेंद्रकुमार ठाकुरिया परिवार इंदौर द्वारा तथा संघ प्रभावना सागरमल बागमल तांतेड़ परिवार नलखेड़ा द्वारा की गई।
शांति के लिए परमात्मा का ध्यान करना होगा
गणिवर्य प्रसन्नचंद्रसागर मसा ने धर्मसभा में समाजजनो को प्रवचन देते हुए कहा कि संसार में कोई सुख नहीं हैं।
शांति चाहिए तो परमात्मा के नजदीक जाना पड़ेगा। जीवन में यदि संयम नहीं ले सकते तो उसके लिए तीर्थ यात्रा का महत्व बताया गया है। इसके लिए हमें परमात्मा की आज्ञानुसार तीर्थ यात्रा करना होगी। धार्मिक क्रियाओं के द्वारा हमं अपने कर्मो का क्षय कर सुखी जीवन व्यतीत कर सकते है। संघ के आने से समाज में हर्ष हैं।