scriptनिजी क्लीनिक वालों को नोटिस, स्वास्थ्य विभाग के बाबुओं-अफसरों की दीवाली! | Notice to private clinics, health officials of the babus-officers, Diw | Patrika News

निजी क्लीनिक वालों को नोटिस, स्वास्थ्य विभाग के बाबुओं-अफसरों की दीवाली!

locationअगार मालवाPublished: Nov 10, 2018 11:09:56 pm

Submitted by:

Praveen tamrakar

झोलाझॉप डॉक्टरों के क्लीनिक पर कार्रवाई के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने डेढ़ माह पुराना नोटिस शहर सहित जिले के तमाम निजी क्लीनिक पर भेजे हैं

patrika news

Bazaara- stuff sealed by the inquiry team.

ब्यावरा. करीब सालभर पहले प्रदेशभर में हुई निजी क्लीनिक और कुकुरमुत्तों की तरह खुल चुके झोलाझॉप डॉक्टरों के क्लीनिक पर कार्रवाई के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने डेढ़ माह पुराना नोटिस शहर सहित जिले के तमाम निजी क्लीनिक पर भेजे हैं। इसमें संबंधित डॉक्टर्स से प्रैक्टिस करने का प्रमाण, डिग्री और रजिस्ट्रेशन, वहां संचालित मैटरनिटी, पैथालॉजी, जांच एवं उपचार केंद्र का प्रमाण मांगा गया है।

हालांकि शासन स्तर पर भले ही अधिनियम का हवाला देकर उक्त नोटिस भेजे गए हों, लेकिन इस नोटिस से स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों, बाबुओं की दीवाली हो गई है। यानी सेटिंग और बिचोलियों के खेल से कार्रवाई तो दूर कोई नोटिस का जवाब तक नहीं देता। सब कुछ सेटिंग से ही हो जाता है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल एक साथ जिले में सील किए गए दर्जनों क्लीनिक न सिर्फ खोल लिए गए बल्कि उनमें काम पहले जैसे ही होने लगे जिससे वे सील हुए थे। अब औपचारिक तौर पर आचार संहिता के मद्देनजर बिना किसी नए प्रशासनिक निर्देश के नोटिस जारी किए गए।

नोटिस 24 सितंबर का, जारी हो गया अब
पूरे नोटिस में औपचारिकता और मिलीभगत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दीवाली से महज दो-तीन दिन पहले ही जारी हुआ नोटिस हकीकत में 24 सितंबर को जारी हुआ था। उसे बाबुओं ने अभी की तारीख में जारी कर दिया। नोटिस में तीन दिन में जवाब-तलब करने का उल्लेख है। जबकि सीएमएचओ ने स्पष्ट किया है कि 15 दिन में जवाब दिया जा सकता है। नोटिस को जारी करने में ही गड़बड़झाला नजर आ रहा है। पिछली बार की कार्रवाई के बाद बिना किसी निर्देश के खुले क्लीनिक अभी तक चल रहे हैं। हालांकि तमाम प्रकार की जांच के बाद तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. अनुसूया गवली निशाने पर थीं और आखिर में उन्हें निलंबित भी किया गया था।

अवैध क्लीनिक की होड़, यह है प्रावधान
जिले सहित ब्यावरा शहर में अवैध और झोलाछाप क्लीनिक की होड़ सी मची हुई है, इनमें व्यापक स्तर पर अवैध काम किए जाते हैं। शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग सभी को पता होने के बावजूद कोई कार्रवाई इन पर नहीं होती। हर बार कुछ लेन-देन कर ये न सिर्फ उक्त धांधलियों से बरी हो जाते हैं, बल्कि फिर से वही काम भी शुरू कर देते हैं। इनके फेर में वैध तौर पर क्लीनिक संचालित करने वालों को भी दिक्कत आती है। बता दें कि मप्र उपचर्यागृह एवं रजोपचार संबंधि स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण) नियम-१९९७ यथा संशोधन-२००७ धारा-३ के प्रावधान अनुसार संस्था का वैधपंजीयन जरूरी है अन्यथा अधिनियम की धार-११ और १२ के प्रावधान के हिसाब से कार्रवाई की जाती है।

पंजीयन ऑनलाइन, बिचौलिए करते हैं सेटिंग
जानकारी के अनुसार तमाम वे क्लीनिक जिनके पास वैध दस्तावेज हैं उन्हें हर पांच साल में पंजीयन रिनुवल करवाना होता या नए पंजीयन के लिए भी जिलास्तर पर ही पंजीयन होता है। ऑनलाइन होने वाले इस पंजीयन में नाम मात्र का पंजीयन शुल्क लगता है, लेकिन बिचौलियों के माध्यम से बेवजह ही पंजीयन निरस्त कर दिए जाते हैं। फिर बाद में कुछ लेन-देन के बाद उनके पंजीयन आसानी से कर दिए जाते हैं। इस काम में न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, बाबू शामिल हैं, बल्कि ब्यावरा में भी एजेंट सक्रिय हैं जो सभी से बड़ी राशि एकत्रित कर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। हकीकत में पंजीयन प्रक्रिया सामान्य है पहले प्रदेश स्तर पर होती थी अब उसे जिलास्तर पर कर दिया गया है, इससे गड़बडिय़ां भी और बढ़ गई हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो