दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने मुरैना से केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और बहुजन समाज पार्टी ने रामलखन सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में दोनों प्रत्याशी ठाकुर होने के चलते सिंधिया ने ब्राम्हण प्रत्याशी के तौर पर अपने पीए का नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि इसका अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करना है।
सिंधिया समर्थकों का मानना है कि मुरैना में भाजपा और बसपा में ठाकुरों का वोट बैंक आपस में बंट जाएगा, ऐसे में ब्राम्हण प्रत्याशी उतारने पर फायदा हो सकता है। कारण कि इससे पहले भी भाजपा ने ब्राम्हण वोट बैंक हथियाने के लिए अनूप मिश्रा को टिकट दिया था वे भारी बहुमत से जीते भी थे।
इस बार केन्द्रीय मंत्री तोमर ने ग्वालियर की बजाए मुरैना से लड़ने की इच्छा जताई तो वर्तमान सांसद मिश्रा का टिकट काटकर उन्हें दे दिया गया।
इसके पहले ठेकेदार को जितवा चुके हैं सिंधिया
ग्वालियर चंबल संभाग में सिंधिया परिवार का दबदबा बना हुआ है। स्वर्गीय माधव राव सिंधिया ने महल के रंग रोगन करने वाले ठेकेदार बारेलाल जाटव को मुरैना से सांसद का टिकट देकर जितवा चुके हैं।
इस बार का चुनाव होगा रोचक
भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर मुरैना से 2009 में सांसद चुने गए थे। 2014 में उनके खिलाफ एंटीइकंबेंसी का माहौल बनने के बाद वे ग्वालियर से चुनाव लड़े। इस बार ग्वालियर में हालत खराब दिखे तो वापस मुरैना की ओर रुख कर लिया।
ऐसे में कांग्रेस को इस सीट से ज्यादा उम्मीदें दिखाई दे रही हैं। इसलिए मुरैना का चुनाव रोचक माना जा रहा है। वहीं सिंधिया के लिए भी जरुरी है कि वे अपने प्रभाव वाले ग्वालियर चंबल से सभी सीटों पर चुनाव जिताएं, इससे केन्द्र में उनका कद बढ़ेगा।