शासन बजट भी देता है
बड़ा गवली पुरा में संचालित इस छात्रावास के संचालन के लिए शासन बजट भी देता है। इस बजट का कितना उपयोग हुआ होगा और कितनी बंदरबाट, इसकी पुष्टि छात्रावास की बदहाल स्थिति खुद ब खुद बयां करती है। छात्रावास में विद्यार्थियों के कक्ष से लेकर भोजन शाला तक गंदगी ही गंदगी है। छात्रावास में रंगाई पुताई कब हुई तो यह तो वहां रहने वाले विद्यार्थियों को भी पता नहीं। शौचालय एवं स्नानागार की स्थिति तो बेहद चिंताजनक दिखाई दी। आए दिन यहां जहरीले जीव जंतु निकलते रहते हैं । रात्रि में छात्रावास परिसर में स्ट्रीट लाइट भी नहीं चलती है। इन सब अव्यवस्थाओं का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।
जवाबदारों की कहानी उनकी जुबानी
प्रभारी नोडल अधिकारी कृष्णपाल सिंह राठौर से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि अधीक्षक द्वारा कोई गेहूं नहीं बेचे गए है। जुलाई का अग्रिम आवंटन उठाना तो इसलिए दस्तावेजी प्रक्रिया पूर्ण की गई है। गेहूं-चावल उचित मूल्य की दुकान पर ही रखे गए हैं उन्हें छात्रावास लाया ही नहीं गया। मेरे द्वारा छात्रों से कोई अभद्रता नहीं की गई है। विद्यार्थियों को यहीं कहा गया है कि लिखित में शिकायत करो। जिला संयोजक के समक्ष शिकायत करो फोन पर या मौखिक शिकायत करने से समस्या हल नहीं होती है। अधीक्षक हरिसिंह गोयल ने बताया कि प्रथम एवं द्वितीय वर्ष की परीक्षाएं अप्रैल में ही हो गई थी। सेमेस्टर वाले बच्चे छात्रावास में रह रहे थे उनकी परीक्षाएं भी हो चुकी हैं। छात्रावास में रहने की पात्रता ही नहीं है । हमारे द्वारा व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं।
अधीक्षक एवं नोडल अधिकारी पर लगाए आरोप
छात्रावास में निवासरत विद्यार्थी राकेश मेघवंशी, कमलेश मेघवाल, दिनेश कुमार, अर्जुन दशलानिया, विष्णु मेघवाल, गोविंद मालवीय, गोपाल सूर्यवंशी, संजय मालवीय, सूरज परमार, ईश्वर सूर्यवंशी आदि ने बताया कि २० जून को छात्रावास के लिए गेहूं एवं चावल आए थे लेकिन उसमें से ६ क्विंटल गेहूं व चावल अधीक्षक हरिसिंह गोयल द्वारा बाजार में बेच दिए गए जब हम लोग इसकी शिकायत लेकर प्रभारी नोडल अधिकारी कृष्णपालसिंह राठौर के पास गए तो उन्होंने अभद्रता की और कहा कि जहां मन करे वहां शिकायत कर दो और हमें भगा दिया।
तीन महीने से है पानी की मोटर बंद
छात्रावास परिसर में एक ट्यूबवेल लगा हुआ है। इसकी मोटर करीब तीन माह पूर्व खराब हो गई थी जिसको सुधारने के लिए अधीक्षक द्वारा कोई प्रयास नहीं किए गए। मोटर खराब होने के बाद यहां पेयजल समस्या निर्मित हो गई। परिसर में बने एक टैंक में पानी का टैंकर डलवा दिया जाता है । इसका उपयोग विद्यार्थी नहाने धोने के लिए करते हैं। टंकी में पानी नहीं होने से शौचालय में भी पानी नहीं रहता है। इिसकारण शौचालय का उपयोग करना भी विद्यार्थियों ने बंद कर खुले में जाने लगे हैं। किसी भी कक्ष में पंखे नहीं है सभी पंखों को भंगार में पटक दिया गया है।
बिस्तर पलंग के भी हाल बेहाल
छात्रावास में निवासरत विद्यार्थी जिन बिस्तरों पर सोते हैं उनकी स्थिति भी चिंताजनक है। बिस्तर फटे हुए हैं तो पलंग टूटे हुए हैं। कई बार विद्यार्थियों ने चादर एवं कंबल बदलने के लिए अनुरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सूचना पटल पर भी वर्षो पुराने अधिकारियों के नाम दर्ज है। अधीक्षक के रूप में डा. आरपी सूर्यवंशी पदस्थ तो जिला संयोजक के रूप में एलएस डामोर तथा कलेक्टर के रूप में आज भी विनोद शर्मा का नाम छात्रावास के सूचना पटल पर दर्ज है।
पोस्ट मैट्रिक छात्रावास से संबंधित शिकायत मुझे प्राप्त नहीं हुई है। अव्यवस्था से संबंधित कोई शिकायत मेरे संज्ञान में नहीं आई है। पूरे मामले को दिखवाती हूं।
– आशा चौहान, जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग