अगार मालवाPublished: Feb 17, 2018 12:23:52 am
Lalit Saxena
बिना रजिस्ट्रेशन के इलाज के नाम सेहत से खिलवाड़
बिना रजिस्ट्रेशन के इलाज के नाम सेहत से खिलवाड़
आगर-मालवा. जिले में झोलाछापों का अवैध कारोबार बेरोकटोक जारी है। गली-गली एवं गांव-गांव में बिना रजिस्ट्रेशन ये लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
ऐसे अनेक नर्सिंग होम व दवाखाने खुल चुके हैं जिनके पास मात्र वैद्य विशारद एवं आयुर्वेद रत्न जैसी डिग्री है, लेकिन ये मरीजों का उपचार ऐलोपैथिक पद्धति से कर मरीजों से ठगी करने के साथ जान से खिलवाड़ भी कर रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों के विरुद्ध प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई लंबे समय से नहीं की गई है।
बिना डिग्री के चालू ठगी का खेल
आगर-बड़ौद अनुभाग के शहरी क्षेत्र के साथ कानड़, तनोडिय़ा, पिपलोनकलां, चांदनगांव जैसे बड़े ग्रामीण क्षेत्र में अनेक बिना डिग्री के झोलाछाप ने आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ इलाज के नाम खिलवाड़ करना पेशा बना लिया है। इन्हें इंजेक्शन और बॉटल लगाने का थोड़ा बहुत अनुभव हो जाता है तो डॉक्टर बन जाते है और फर्जी तौर पर दुकान खोलकर कहीं भी बैठकर कारोबार संचालित करने लगते हैं। परामर्श शुल्क ५० से १०० रुपए, एक इंजेक्शन लगाने के २० रुपए व बोतल लगाने के ४० से ५० रुपए लेते हैं। घर पहुंच सेवा में इनका शुल्क बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विभाग नहीं करता कार्रवाई
नगर एवं क्षेत्र में गाजरघास की भांति पैदा हुए झोलाछाप पर अंकुश लगाने के लिए बकायदा स्वास्थ्य महकमे ने दस्तावेजों में जांच दल का गठन कर रखा है। बावजूद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई नहीं की जाती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अमले की कमी बताकर कर्तव्यों से विमुख हो जाते है। प्रदेश सरकार ने नीम-हकीमों व फर्जी रूप से इलाज करने वाले कथित डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई के साथ विभिन्न धाराओं में सजा का प्रावधान कर रखा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इनकी जांच तक नहीं की जाती।
पंजीयन न मिलने पर की जाएगी कार्रवाई
जिले में जांच अभियान चलाया जा रहा है। सभी निजी डॉक्टरों को शासन के निर्देशानुसार पंजीयन करवाने की सलाह दी जा रही है। निजी चिकित्सक के पास संबंधित पैथी में उपचार करने का पंजीयन होना अनिवार्य है। जांच में यदि वैध पंजीयन नहीं पाया जाता है तो कार्रवाई करेंगे।
डॉ. बीएस बारिया, सीएमएचओ, आगर